क्या आप भी कंप्यूटर सीखना चाहते है वो भी बिलकुल फ्री में तो आप सही जगह पर आये हैं क्यूंकि आज इस पोस्ट में हम कंप्यूटर की पूरी जानकारी जानेंगे। अगर आप आज के टेक्नोलॉजी के साथ चलना चाहते है तो मेरे हिसाब से आपको कंप्यूटर की जानकारी होनी चाहिए। अगर आप कंप्यूटर की जानकारी चाहते है तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत फायदेमन्द हो सकती है तो चलिए शुरू करते है कंप्यूटर की पढ़ाई वो भी बिलकुल शुरू से।
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अगर आपको कंप्यूटर का असली मतलब नहीं पता तो आप टेक्नोलॉजी को अच्छे से नहीं समझ सकते क्यूंकि जब टेक्नोलॉजी का विकास अच्छी तरह नहीं हुआ था उस समय कंप्यूटर को ही टेक्नोलॉजी समझा जाता था वैसे कहीं हद तक कंप्यूटर का हमारे जीवन और टेक्नोलॉजी के विकास में बहुत बड़ा योगदान है। कंप्यूटर को समझना कोई मुश्किल बात नहीं है और जब मेरे जैसा व्यक्ति कंप्यूटर के बारे में समझाए तब तो बिलकुल परेशानी नहीं होगी।
कंप्यूटर : सामान्य परिचय (Computer : General introduction )
कंप्यूटर क्या है ?
What is a computer ?
कंप्यूटर एक एडवांस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो यूजर से इनपुट के रूप में रॉ डाटा लेता है और उसे प्रोसेस करता है , रिजल्ट प्रोडूस करता है और फ्यूचर यूज़ के लिए इसे सेव करके रखता है।
Computer वर्ड , इंग्लिश के "COMPUTE" वर्ड से बना है जिसका अर्थ होता है "गणना करना" इसीलिए कंप्यूटर को हिंदी में संगणक कहते है। इसका यूज बहुत सारे सूचनाओं को प्रोसेस (Process ) करने तथा मेमोरी में स्टोर करने के लिए होता है।
Computer वर्ड , इंग्लिश के "COMPUTE" वर्ड से बना है जिसका अर्थ होता है "गणना करना" इसीलिए कंप्यूटर को हिंदी में संगणक कहते है। इसका यूज बहुत सारे सूचनाओं को प्रोसेस (Process ) करने तथा मेमोरी में स्टोर करने के लिए होता है।
शुरू में कंप्यूटर को सिर्फ गणना करने वाले यंत्र के रूप में जाना जाता था मगर वर्तमान में इसका क्षेत्र केवल गणना करने तक सिमित न रहकर अत्यंत व्यापक हो चूका हैं।
कंप्यूटर की विशेषताएं Characteristic of Computer
कंप्यूटर अपनी उच्च संग्रह क्षमता (High Storage Capacity) , गति (Speed), स्वचालन (Automation) क्षमता (Capacity), शुद्धता (Accuracy), सार्वभौमिकता (Versatility), विश्वशनीयता (Realiability), याद रखने की शक्ति के कारण हमारे जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण होता जा रहा है। कंप्यूटर द्वारा अधिक शुक्ष्म समय में अधिक तीव्र गति से गणनाएं की जा सकती है कंप्यूटर द्वारा दिए गए परिणाम अधिक शुद्ध होते है।
कंप्यूटर के उपयोग Uses of Computer
1. शिक्षा (Education ) के क्षेत्र में
2. बैंक(Bank ) में
3. रक्षा (Defense) के क्षेत्र में
4. Railway and Airlines Reservation में
5. Medical Science में
6. Communication में
7. Business में
8. मनोरंजन (Recreation) में
कंप्यूटर का भी विकास बहुत तेजी के साथ हुआ है उदहारण के लिए अगर आप पहले के कंप्यूटर को देखे तो उनका आकार भी ज्यादा बड़ा था और उसमें ज्यादा functions भी नहीं थे लेकिन आजकल बहुत हलके भी होते है और उनका आकार भी छोटा होता है और उनमें functions भी ज्यादा होते है। इंसानों ने कंप्यूटर का निर्माण जरूर किया है लेकिन कंप्यूटर जितनी कैलकुलेशन स्पीड इंसानो के पास भी नहीं है और बहुत से ऐसे काम कंप्यूटर कर सकता है जो किसी इंसान द्वारा कभी संभव ही नहीं है। आजकल आप देखे तो कंप्यूटर की जगह लैपटॉप ने ले ली है। वैसे दोनों का काम एक जैसा ही होता है लेकिन कंप्यूटर को आप एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले सकते क्यूंकि डेस्कटॉप कंप्यूटर मॉनिटर, कीबोर्ड, cpu और माउस से मिलकर बने होते है जिस वजह से इन्हें एक जगह दूसरे जगह ले जाने में परेशानी होती है वही दूसरी तरफ लैपटॉप को आसानी से फोल्ड कर सकते हो कंही भी ले सकते हो और चार्ज भी कर सकते हो। यही कारण है की लैपटॉप का दाम कंप्यूटर से हमेशा ज्यादा होता है अगर आपका बजट कम है तो आपको डेस्कटॉप कंप्यूटर खरीदना चाहिए।
कंप्यूटर काम कैसे करता है :
कंप्यूटर काम कैसे करता है यह अपनी आँखों से देख तो नहीं सकते लेकिन इसे समझ जरूर सकते है तो कंप्यूटर को जब instruction देते है keyboard और mouse की मदद से तब वो instruction CPU तक जाता और CPU हमारे दिए हुए instructions का पालन करता है और रिजल्ट मॉनिटर पर देता है इसी तरह हमारा कंप्यूटर काम करता है।
कंप्यूटर का कांसेप्ट इनपुट डाटा से आउटपुट इनफार्मेशन को जेनरेट करना है।
Input :
कीबोर्ड जैसे इनपुट डिवाइस से कंप्यूटर इनपुट डाटा को स्वीकार करता है। इनपुट डाटा करैक्टर , वर्ड, टेक्स्ट , साउंड , इमेज , डॉक्यूमेंट आदि कुछ भी हो सकता है।
Process:
कंप्यूटर इनपुट डाटा पर प्रोसेस करता है हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की सहायता से , सॉफ्टवेयर यानि इंस्ट्रक्शंस का समूह जो डाटा पर कुछ ऑपरेशन करता है।
यह ऑपरेशन ऐर्थेमाटिक या लॉजिक कैलकुलेशन , एडिटिंग , डॉक्यूमेंट को मॉडिफाइ , आदि हो सकती है।
प्रोसेसिंग के समय डाटा , इंस्ट्रक्शन, और आउटपुट को कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी में टेम्पोरेरी स्टोर किया जाता है।
Output :
डाटा पर प्रोसेस होने के बाद जेनेरेट हुए रिजल्ट ही आउटपुट है। यह आउटपुट टेक्स्ट, साउंड, इमेज, डॉक्यूमेंट आदि के रूप में हो सकता है।
कंप्यूटर की मॉनिटर पर आउटपुट डिस्प्ले होता है इसे सॉफ्टकॉपी कहा जाता है , प्रिंटर पर आउटपुट प्रिंट होता है इसे हार्डकॉपी कहा जाता है।
Storage :
इनपुट डाटा , इंस्ट्रक्शन और आउटपुट को परमानेंटली डिस्क या टेप जैसे सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस में स्टोर किया जाता है। इस स्टोर डाटा को बाद में यूज़ किया सकता है , जब भी जरुरत पड़े।
कंप्यूटर मुख्य रूप से दो भागों से मिलकर बना हुआ है :-
1. हार्डवेयर और 2. सॉफ्टवेयर
हार्डवेयर Hardware
कंप्यूटर के सभी कलपुर्जों , भागो , उपकरणों आदि को हार्डवेयर कहते है। हार्डवेयर को आँखों से देख सकते है तथा हाथों से छू भी सकते हैं। कीबोर्ड , माउस , स्कैनर आदि इनपुट उपकरण, CPU तथा मॉनिटर , प्रिंटर आदि आउटपुट उपकरण सभी हार्डवेयर के भाग होते है।
हार्डवेयर अपने आप में साधारण मशीनो की तरह मृत ( मरा हुआ ) है , क्योंकि यह स्वयं कोई कार्य नहीं करता और न कर सकता है। इससे काम कराने का कार्य सॉफ्टवेयर का होता है। यह सॉफ्टवेयर ही है जो कंप्यूटर में जान डालकर उससे सभी कार्य करा लेता है। सॉफ्टवेयर के बिना कंप्यूटर हार्डवेयर बिना आत्मा के शरीर या बिना बिजली के टेलीविजन जैसा ही है।
सॉफ्टवेयर Software
कंप्यूटर
को दिए जाने वाले किसी आदेश या प्रोग्राम को सॉफ्टवेयर (Software ) कहते
है। सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के हार्डवेयर को चलाता है और उससे कोई कार्य कराता
हे।बिना सॉफ्टवेयर के हार्डवेयर केवल कुछ पुर्जा का ढेर ही होता
है,जो अपने आप कुछ नही कर सकता। उदहारण के लिए कोई सीडी प्लेर एक हार्डवेर है
और किसी सीडी में भरी हुई अथवा स्टोर की हुई फिल्म या संगीत सोफ्टवेर है।
यदि सीडी में कोई फिल्म या संगीत न हो, तो सीडी प्लेर बेकार ही होगा।
कंप्यूटर हार्डवेर से कोई भी कार्य करने के लिए हमें आदेश (commands)
देने पड़ते है। आदेश के समूह को कंप्यूटर के क्षेत्र में प्रोग्राम कहा जाता
है।प्रत्येक प्रोग्राम किसी खास कार्य को करने के लिए ऐसे क्रमबद्ध
निर्देशो का एक समूह होता है। जिनका पालन करने से वह कार्य किया जा सकता
है। कंप्यूटर में सैंकड़ो की सख्या में प्रोग्राम होते है , जो अलग -अलग
कार्यो केलिए लिखे या बनाये जाते है। इन सभी प्रोग्राम के समूह को सम्मिलित
रूप में 'सॉफ्टवेयर कहा जाता है। इस प्रकार सोफ्टवेर उन प्रोग्राम
प्रक्रियाओं और आदेशो के समूह का नाम है , जो कंप्यूटर हार्डवेयर को चलाते
है और उनसे विभिन्न कार्य करते है।
यदापी सॉफ्टवेयर को
वर्गों या श्रेणियों में बांटने का कोई सर्वमान्य तरीका नहीं है , फिर भी
सॉफ्टवेयर मुख्यत: तीन प्रकार का होता है -
1.सिस्टम सॉफ्टवेयर (System software)
2.यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software )
3.एप्लीकेशन (Application software )
सिस्टम सॉफ्टवेयर System Software
जो प्रोग्राम कंप्यूटर को चलाने , उसको नियंत्रित करने , उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओं का अच्छे से अच्छा उपयोग करने के लिए लिखे जाते हैं , उनको सम्मिलित रूप में सिस्टम सॉफ्टवेयर कहा जाता है। सामान्यता सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के निर्माता द्वारा ही उपलब्ध कराया जाता है। वैसे यह बाद में बाजार से भी ख़रीदा जा सकता है।
कंप्यूटर से हमारा सम्पर्क या संवाद सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही होपाता है।दूसरे शब्दों में , कंप्यूटर हमेशा सिस्टम सॉफ्टवेयर के नियंत्रण में अथवा उससे चारों ओर से घिरा हुआ रहता है , जिससे हम सीधे कंप्यूटर से अपना संपर्क नहीं बना सकते।वास्तव में हमें उसकी आवश्यकता भी नहीं है , क्योंकि सिस्टम सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता की सुविधा के लिए ही बनाया जाता है। कंप्यूटर कंप्यूटर तथा सिस्टम सॉफ्टवेयर के संबंध को साथ के चित्र में दिखाया गया है।सिस्टम सॉफ्टवेयर से हमें बहुत सुविधा हो जाती है , क्योंकि वह कंप्यूटर को अपने नियंत्रण में लेकर हमारे द्वारा बताये गए कार्यो को कराने तथा प्रोग्रामों का सही-सही पालन कराने का दायित्व अपने ऊपर ले लेता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर में वे प्रोग्राम शामिल होते हैं , जो कंप्यूटर को नियंत्रित करते है और उसके विभिन्न भागों के बिच उचित तालमेल बनाकर कोई कार्य करते हैं। इनमें निम्नलिखित प्रोग्राम शामिल होते है -
1. ऑपरेटिंग सिस्टम ( Operating system )
2. भाषा अनुवादक ( Language Translators )
Operating System
ऑपरेटिंग सिस्टम कुछ विशेष प्रोग्रामों का ऐसा व्यवस्थित समूह है जो किसी कंप्यूटर के सम्पूर्ण क्रियकलाप को नियंत्रित करता है। यह कंप्यूटर के साधनों के उपयोग पर नजर रखने और व्यवस्थित करने में हमारी सहायता करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम आवश्यक होने पर अन्य प्रोग्रामों को चालू करता है , विशेष सेवाएँ देने वाले प्रोग्रामों का मशीनी भाषा में अनुवाद करता है और उपयोगकर्ताओं की इच्छा के अनुसार आउटपुट निकालने के लिए डाटा का प्रबन्ध करता है। वास्तव में , यह उपयोगकर्ता और कंप्यूटर के हार्डवेयर के बीच इंटरफ़ेस का कार्य करता है। .
जब हम कंप्यूटर ऑन करते है तो कंप्यूटर अपने मदर बोर्ड पर लगे चिप ROM को search करता है जिसमें BIOS (Basic Input Output System ) नामका सॉफ्टवेयर रहता है। इस BIOS में विभिन्न एक्सपेंसन स्लॉट , पोर्ट , ड्राइव तथा ऑपरेटिंग सिस्टम के उपयोग के लिए निर्देश डाला रहता है। ये BIOS सॉफ्टवेयर अपने आप रन करता है और सारे डिवाइस को चेक करता है सभी डिवाइस सही से काम कर रहा है या नहीं। इस चेकिंग प्रक्रिया को POST कहते है।
Power On Self Test सफलतापूर्वक समाप्त होने के पश्चात् बूट स्ट्रैप की प्रक्रिया शुरू होती है जिसे बूटिंग कहते है। प्रक्रिया में ऑपरेटिंग सिस्टम सेकेंडरी मेमोरी यानि हार्ड डिस्क से मेन मेमोरी यानि RAM में लोड करता है।
कंप्यूटर हमारी लैंग्वेज नहीं समझते है , वे द्विआधारी ( Binary Number ) 1 अथवा 0 की लैंग्वेज समझते हैं , ऑपरेटिंग सिस्टम , हार्डवेयर , एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर तथा यूजर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। इसका कार्य कंप्यूटर चलाना तथा उसे काम करने योग्य बनाये रखना है।
इस समय अनेक ऑपरेटिंग सिस्टम प्रचलन में है।
1. वास्तविक समय ऑपरेटिंग सिस्टम (Real time operating system ) : इसका मुख्य उदेश्य यूजर को तेज Response timeउपलब्ध कराना है। ये प्रणाली मशीनरी , वैज्ञानिक और औद्योगिक उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है इसमें उपयोगकर्ता का हस्तक्षेप कम होता है , तथा एक प्रोग्राम के परिणाम का दूसरे प्रोग्राम में इनपुट डाटा के रूप में प्रयोग होता है। वास्तविक समय ऑपरेटिंग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि विशेष ऑपरेशन एक निश्चित समय अवधि में ही पूर्ण हो जाये , नहीं तो आगे के प्रोग्राम में गलती आ जाएगी तथा परिणाम रुक जायेगा। उदाहरण - वैज्ञानिक अनुसंधान , रेलवे आरक्षण , उपग्रहों का संचालन आदि।
2 टाइम शेयरिंग सिस्टम (Time sharing operating system ) : इमसे यूजर को एक ही संसाधन का साझा उपयोग करना होता है ऑपरेटिंग सिस्टम विभिन्न यूजर के आवश्ताकताओ को संतुलित करता है की हर प्रोग्राम जो वे उपयोग कर रहे हैं पयार्प्त है या नहीं इस ऑपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी का सही प्रबंधन आवश्यक होता है इसमें प्रत्येक प्रोग्राम को CPU का बराबर सयम मिलता है
3. एकल कम ऑपरेटिंग सिस्टम (Single tasking operating system ) : इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम एक यूजर को प्रभावी रूप से एक सयम मैं एक ही कम करने की अनुमति देता है
4. बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (batch processing operating system ) : इस सिस्टम मैं कम समूह में होता है अर्थात ऑपरेटिंग सिस्टम जब सारे कार्य समूह में यूजर के हस्तक्षेप के बिना प्राथमिकता के आधार पर करता है तो उस सिस्टम को बैच प्रोसेसिंग सिस्टम कहते हैं; जैसे- पेरोल (Payroll ) बनाना, बिलिंग (Billing ) आदि
5. बहु प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi programming operating system ) : ऐसे सिस्टम में ऑपरेटिंग सिस्टम दूयरा एक से अधिक प्रोग्राम या कार्य एक ही साथ कार्य करते है हर कार्य को CPU का एक निश्चित सयम दिता जाता है जिसे टाइम स्लैसिंग कहते हैं
6. मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi processing operating system ) : मल्टी प्रोसेसिंग या पैरेलल प्रोसेसिंग सिस्टम ( Parallel Processing system ): इस सिस्टम में एक ही कंप्यूटर सिस्टम में दो या अधिक सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का उपयोग होता है
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