विद्युत धारा एवं धारा घनत्व (Electric Current and Current Density):
हम पढ़ चुके हैं कि विद्युत क्षेत्र में आवेशित कण पर एक विद्युत बल कार्य करता है। धनावेशित कण पर बल की दिशा विद्युत क्षेत्र के अनुदिश तथा ऋणावेशित कण पर बल की दिशा विद्युत क्षेत्र के विपरीत होती है। यदि कण गति करने के लिए स्वतंत्र है तो वह इस बल के अंतर्गत गति करने लगता है। आवेश की गति की अवस्था को विद्युत धारा कहते हैं। जब किसी चालक में आवेश एक बिंदु से दूसरे बिंदु की ओर प्रवाहित होता है , तो आवेश का यह प्रवाह ही विद्युत धारा है तथा गतिमान आवेशित कण विद्युत धारा का निर्माण करते हैं।
किसी विद्युत परिपथ में विद्युत धारा की मैप आवेश के प्रवाह की दर से की जाती है। किसी परिपथ में 1 सेकण्ड में जितना प्रवाहित होता है , उसे ही उस परिपथ की विद्युत धारा कहते हैं। यसदि किसी बंद परिपथ में t सेकण्ड में प्रवाहित आवेश की मात्रा q हो, तो परिपथ में विद्युत धारा की प्रबलता
विद्युत धारा का S. I. मात्रक 'ऐम्पियर' है।
उपर्युक्त समीकरण में यदि q = 1
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