Online Computer Courses Classes and Training Program

रसायनशास्त्र की मूलभूत अवधारणाए (Fundamental Concepts of Chemistry)

Fundamental Concepts of Chemistry
रसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों की बनावट , संरचना एवं उनके गुणों का अध्ययन जाता है।  इसके अतरिक्त , पदार्थों के अंतर्गत होनेवाले विभिन्न परिवर्तनों और उनसे संबंधित नियमों का अध्ययन भी रसायनशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है।
 
 पदार्थ का अर्थ उन सभी चीजों से है जो हमारे शरीर या इसके आस पास दिखने या ना दिखने वाले के रूप में मौजूद है।

रसायन विज्ञान केअध्ययन का महत्व एवं क्षेत्र 

आज के मानव समाज में रसायन विज्ञान की भूमिका महत्वपूर्ण है। कुछ उदहारण यहाँ प्रस्तुत है। 
1. खाद्य पदार्थो की आपूर्ति करने में - विश्व में जनसँख्या की अत्यधिक वृद्धि के कारण खाद्य पदार्थो की पर्याप्त वृद्धि करना एक समस्या है।  साथ ही हमारे जीवन-स्तर में वृद्धि होने से अत्यधिक गुणवता वाले खाद्य पदार्थो के प्रबंधन में अनवरत वृद्धि होती जा रही है। इन उधेश्यो की पूर्ति में रसायन विज्ञान की उपयोगिता बढ़ जाती है ;

(i) रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति - कृषि क्षेत्र में फसलों की उपज बढ़ाने के लिए यूरिया , कैल्शियम सुपर फोसफेट , अमोनियम सलफेट आदि रासायनिक पदार्थ उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किये जाते हैं।  ये सभी पदार्थ रसायन विज्ञान की देन है। 

(ii) अनेक रासायनिक पदार्थो का उपयोग कीटाणुनाशक ( insecticides) , फफूंदनाशी (fungicides) और जंतुनाशी (pesticides ) के रूप में किया जाता है।  ऐसा करने से कीड़ों के प्रकोप से फसलें सुरक्षित रहती हैं। 

(iii) आजकल खाद्य पदार्थो में अनेक प्रकार के हानिकारक पदार्थ मिला दिए जाते हैं इससे खाद्य पदार्थो की गुणवता में कमी आ जाती है तथा ये पदार्थ हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।  ऐसे पदार्थों की जाँच रासायनिक प्रयोगशालाओं में आसानी से की जाती है।   

2. स्वास्थ्य एवं सफाई का प्रबंध - स्वास्थ्य एवं सफाई के प्रबंधन मेंरसायनशास्त्र कीभूमिका अग्रणीय है। 

(i) रोगों से मुक्ति के लिए अनेक रासायनिक योगिकों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाताहै। उदहारण के लिए , सल्फा ड्रग्स , पेनिसिलिन , क्लोरोमाइसेटीन , टेट्रासाइकिलन , एस्पेरिन आदि का उपयोग व्यापक रूप में किया जाता है।  कई जीवन-रक्षक दवाओं का उपयोग रोगों की रोकथाम में किया जाता है ; जैसे - सिस्प्लैटिन (cisplatin ) और टैक्सोल (taxol ) का उपयोग कैंसर के उपचार में। इसके अतरिक्त , एड्स रोग की रोकथाम में AZT (अजीडोथाइमेडिन ) का प्रयोग किया जाता है। ये औषधियाँ पौधों और जानवरों से संश्लेषित की जाती है। 

कई प्रकार  दर्दनाक औषधियाँ तथा विटामिन और बलवर्धक दवाइयाँ भी रसायन शास्त्र की ही देन है। 

3. पर्यावरण की सुरक्षा - फ्रीज , वायुयान , एयरकंडीशनर आदि में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) का इस्तेमाल किया जाता है जो वायु मंडल के ऊपरी भाग में पहुंचकर ओजोन लेयर को नष्ट कर देता है। आप जानते हैं कि यही ओजोन लेयर सूर्य के प्रकाश से आनेवाली हानिकारक पराबैगिनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी के जीव-जंतुओं की रक्षा करता है। किन्तु आज रसायनज्ञों ने कुछ ऐसे निरापद रसायनो  कर ली है जो क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स के जगह इस्तेमाल किये जा सकते है।

        इसके अतरिक्त , अत्यधिक जीवाश्म इंधनो के दहन से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड गैस के कारण वायुमंडल दिन प्रतिदिन गर्म होता जा रहा है।वायु मंडल में इस गैस की मात्रा सिमित करने की दिशा में भी रसायनशास्त्री काम कर रहे है। 

4. जीवनोपयोगी सामग्रियों का निर्माण - हमारी सुख सुविधा एवं खुशहाली के लिए आज अनेक प्रकार के पदार्थ रसयांगयोने उपलब्ध करा दिए है।  उदाहरण के लिए , संश्लेषित रेशों , कपड़े , प्रसाधन के सामान , टूथपेस्ट , क्रीम , कागज, कांच , प्लास्टिक के सामान , सीमेंट आदि के निर्माण में रसायनशास्त्र का योगदान उल्लेखनीय है। 

5. नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में - आप जानते है कि आज से लगभग पचास वर्ष के पश्चात् कोयला , पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस आदि ईंधन की आपूर्ति इतनी कम हो जाने की संभावना है कि इन पदार्थो पर आधारित अनेक उद्योग-धंधे बंद हो जायेंगे।  ऐसी परिस्थिति से निपटने लिए नाभिकीय ऊर्जा का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। विखंडनीय पदार्थो (थोरियम , यूरेनियम , प्लूटोनियम आदि ) से नाभिकीय ऊर्जा उत्पन्न करने में रसायनशास्त्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 

6. ऊर्जा के अन्य स्रोतों की खोज में - ऊर्जा के अन्य स्रोतों में पवन ऊर्जा , सौर ऊर्जा (solar energy ), जल विद्युत (hydroelectric ) आदि प्रमुख है।  इसके अतरिक्त , वैज्ञानिको ने एक ऐसे उत्प्रेरक की खोज की है जो सूर्य के प्रकाश की सहायता से जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विघटित कर देता है।  इसी प्रक्रिया का उपयोग ईंधन सेल (fuel cell ) के निर्माण में किया गया है। 

7. युद्ध-क्षेत्र में - युद्ध के समय सैनिक कुछ ऐसे पदार्थों का इस्तेमाल करते है जिससे दुश्मन को व्यापक क्षति हो। ऐसे पदार्थो में डायनामाइट , ट्राइनाइट्रोटालूइन (TNT ), ट्राइनाइट्रोबेंजीन (TNB) , फॉस्जीन गैस आदि प्रमुख है।  ये सभी पदार्थ रसायनशास्त्र की ही देन है। 

       अतः , रसायनशास्त्र सभी क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है , चाहे वह सामान्य शिक्षा या वयवसायिक शिक्षा या कोई प्रतियोगिता परीक्षा क्यों न हो। 

रासायनिक संयोग के नियम ( Laws of Chemical Combination )

प्रकृति में होने वाली सारी घटनाएँ नियमानुसार होती है। रसायनिक अभिक्रियाएँ ,जो रसायनशास्त्र की रीढ़ है ,कुछ निश्चित नियमों के अनुसार होती है।ये नियम रासायनिक संयोग के नियम कहलाते है।ये हैं -
1. पदार्थ की अनश्वरता का नियम 2. स्थिर अनुपात का नियम 3. गुणित अनुपात का नियम 4. व्युत्क्रम अनुपात का नियम और 5. गे-लुसैक का गैसीय आयतन का नियम। 
 
इनमें प्रथम चार नियम अभिकारकों के द्रव्यमान से संबंध रखते हैं , जबकि पाँचवाँ नियम अभिकारकों के आयतन से संबंध है। 
 
1. पदार्थ की अनश्वरता का नियम (Law of conversation of matter ) - इस नियम का प्रतिपादन 1774 में फ्रांसीसी रसायनज्ञ लाभ्वाजे ने किया था। इसके अनुसार ,
 
सभी रासायनिक या भौतिक परिवर्तनों में अभिकारकों का कुल द्रव्यमान प्रतिफलों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है। 
अतः , किसी भी भौतिक या रासायनिक परिवर्तन में पदार्थ का कुल द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है। 
 
दूसरे शब्दों में , पदार्थ अनश्वर होता है। किसी भी रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप पदार्थ का न तो नाश होता है और न ही निर्माण। 
 
हम निम्लिखित अभिक्रिया पर विचार करें जिसमें अभिकारक A और B परस्पर अभिक्रिया करके प्रतिफल C और D बनाते है। 
law of chemical combination1
मान लें कि A के a ग्राम , B के b ग्राम से संयोग कर C और D के क्रमशः c ग्राम और d ग्राम बनाते हैं। अतः , द्रव्यमान की अनश्वरता के नियम अनुसार , 
इस नियम के सत्यापन के लिए सर्वप्रथम लभवाजे ने एक प्रयोग किया जिसका विवरण निचे दिया जा रहा है। 

लभवाजे का प्रयोग - Lavoisier ने एक रीटॉर्ट में टीन की एक ज्ञात मात्रा लेकर रीटॉर्ट के मुँह को गर्म करके पूर्णतः बंद कर दिया। रीटॉर्ट को टीन और उसमें बंद हवा के साथ तौल लिया गया।  अब रीटॉर्ट को काफी समय तक गर्म किया गया।  इस अवधि में टीन का एक अंश टीन के ऑक्साइड में परिवर्तित हो गया।  इसके बाद रीटॉर्ट को ठंडा करके तौल लिया गया। दोनों तौलों में कोई अंतर नहीं पाया गया।  इससे सिद्ध होता है कि यद्यपि टीन और रीटॉर्ट में बंद हवा में मौजूद ऑक्सीजन के बीच रसयानिक अभिक्रिया हुई , फिर भी अभिक्रिया के पूर्व और पश्चात पदार्थ के भार में कोई परिवर्तन नहीं किया पाया गया। अतः , यह सिद्ध हो गया कि पदार्थ अनश्वर है। 
 

Post a Comment

0 Comments