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कंप्यूटर का विकास (Development of Computer)

Development of Computer


कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो इंसानों द्वारा बनाई गई है। जिसने हमारे जीवन में कई सारे बदलाव किये जैसे काम करने , रहने , खेलने इत्यादि। पिछले लगभग चार दशकों में इसने हमारे समाज के रहन-सहन , काम करने के तरीके को बदल डाला है। यह लकड़ी के यंत्र से शुरू होकर उच्च गति माइक्रो प्रोसेसर में बदल गया गया है। 'कंप्यूटर ' शब्द अंग्रेजी भाषा की कंप्यूट ( compute ) क्रिया से बना है , जिसका अर्थ है - ' गणना करना '

कंप्यूटर का इतिहास ( History of Computer )

हालाँकि आधुनिक कम्प्पूटरों को अस्तित्व में आये हुए मुश्किल से 60 वर्ष ही हुए है ,  लेकिन उनके विकास  का इतिहास बहुत पुराना है। कंप्यूटर का जो रूप हम आजकल देख रहे है , वह हजारों वर्षों की वैज्ञानिक खोजों और चिंतन का फल है| पुराने समय में मनुष्य अपने पशुओं की गणना अपने आसपास की वस्तुओं: जैसे- पत्थर,हड्डियां ,उँगलियों आदि की सहायता से किया करता था | धीरे -धीरे उसने गणनायें :जैसे - जोड़ना , घटना , गुणा करना आदि सीखा | गणनाओं की मात्रा और जटिलता बढ़ने पर गणना में सहायक यंत्रों की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी | इसके परिणामस्वरूप सबसे पहले गिनतारा (अबेकस) अस्तित्व में आया और बाद में भी कई यंत्रो का निर्माण किया गया। 

गिनतारा Abacus 

यह पहला और सबसे सरल यंत्र है , जिसका उपयोग गणना करने में किया गया था। इसका इतिहास 3000 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। आश्चर्य की बात यह है कि गिनतारा आजकल भी अपने प्रारम्भिक रूप में ही रूस , चीन , जापान, पूर्वी एशिया के देशों तथा भारत में भी कुछ स्कूलों में प्रयोग किया जाता है। 

गिनतारा लकड़ी का एक आयताकार ढांचा होता है , जिसमें 8 या 10 क्षेतिज (Horizontal) छड़ें होती है। प्रत्येक छड़ में 6 दाने या मनके होते हैं , जिन्हें एक अन्य लंबवत छड़ द्वारा इस प्रकार विभाजित किया जाता है कि एक ओर 5 मनके हो तथा दूसरी ओर केवल एक मनका हो। अकेला मनका संख्या 5 को व्यक्त करता है तथा दूसरी ओर का प्रत्येक मनका संख्या 1 को व्यक्त करता है। मनकों को छड़ो पर विभाजक छड़ की ओर अथवा उससे दूर खिसका कर गणनाएं की जाती है।  कहा जाता है कि गिनतारा का नियमित उपयोग करने वाले व्यक्ति आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक डेस्क कैलकुलेटर से भी ज्यादा शीघ्र गणनाएँ कर लेते हैं। 

नेपियर बोन Napier's Bones 

स्कॉटलैंड के गणितज्ञ जॉन नेपियर ने सन 1617 में कुछ ऐसी आयताकार पट्टियों का निर्माण किया था , जिनकी सहायता गुणा करने की क्रिया अत्यंत शीघ्रतापूर्वक की जा सकती थी।  ये पट्टियां जानवरों की हड्डियों से बनी थीं , इसलिए इन्हें नेपियर बोन कहा गया। ये कुल 10 आयताकार पट्टियां होती हैं , जिन पर क्रमश: 0 से 9 तक के पहाड़े इस प्रकार लिखे होते हैं कि एक पट्टी के दहाई के अंक दूसरी पट्टी के इकाई के अंकों के पास आ जाते हैं।  इन पट्टियों का विवरण नेपियर की मृत्यु के बाद ही संसार के सामने आया था। 

स्लाइड रूल Slide Rule 

जॉन नेपियर ने सन 1617 में गणनाओं की लघुगणक (Logarithm) विधि का आविष्कार कर लिया था। इस विधि में दो संख्याओं का गुणनफल , भागफल, वर्गमूल आदि किसी चुनी हुई संख्या के घातांको को जोड़कर या घटाकर निकाला जाता है। आज भी बड़ी -बड़ी गनाओ में यहाँ तक की कप्यूटर में भीइस विधि का प्रयोग किया जाता है। सन १६२० में जर्मनी के गणितज्ञ विलियम ओटरेड ने स्लाइड रूल नामक ऐसी वस्तु का अविष्कार  जो लघुगणक विधि के आधार पर सरलता से गणनाये कर सकती थी। इसमें दो विशेष प्रकार से चिन्हित पट्टियां होती है , जिन्हें बराबर आगे - पीछे सरकाया जा सकता है। इन पर चिन्ह इस प्रकार पड़े होते है कि किसी संख्या की शून्य (Zero ) वाले चिह्न से वास्तविक दुरी उस संख्या के किसी साझा आधार पर लघुगणक के समानुपाती होती है। 

स्लाइड रूल का उपयोग वैज्ञानिक गणनाओं में कई शताब्दियों तक किया जाता रहा। बीसवीं शताब्दी के आठवें दशक में इलेक्ट्रॉनिक पॉकेट कैलकुलेटरों के अस्तित्व में आ जाने के बाद ही इनका प्रयोग बंद हुआ है। 

पास्कल का गणना यंत्र Pascal's Calculator

 गणनाये करने के वाला पहला वास्तविक यंत्र महान फ्रांसीसी गणितज्ञ और दार्शनिक ब्लेज पास्कल ने सन 1642 में बनाया था। इसे पास्कल का कैलकुलेटर या पास्कल की एडिंग मशीन कहा जाता है।इस मशीन का प्रयोग संख्याओं को जोड़ने और घटाने में किया जाता था। जब पास्कल केवल 18 वर्ष का था , तब अपने टैक्स सुपरिटेंडेंट पिता की सहायता के लिए उसने यह यंत्र बनाया था। 
 

लेबनिज का यांत्रिक कैलकुलेटर Mechanical Calculator of Leibnitz

 जर्मन गणितज्ञ लेबनिज ने सन 1671 में पास्कल के कैलकुलेटर में कई सुधार करके एक ऐसी जटिल मशीन का निर्माण किया जो जोड़ने तथा घटाने के साथ ही गुणा करने तथा भाग देने में भी समर्थ थी। इस यंत्र सेगणनाएं करने की गति बहुत तेज हो गयी। इस मशीन का व्यापक पैमाने प्र उत्पादन किया गया।  अभी भी अनेक स्थानों पर इसमें मिलती जुलती मशीनों का उपयोग किया जाता है। 

बैबेजका दिफ्फ्रेंस इंजन 
Diffrence Engine of Babbage 

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के गणित के प्रोफेसर चार्ल्स बैबेज (1792-1871) को आधुनिक कंप्यूटरों का जनक (पिता) कहा जाता है। गणित के क्षेत्र में उनका पहला महत्वपूर्ण योगदान था - एक ऐसा यंत्र बनाना , जो विभिन्न बीजगणितीय फलनों का मान दशमलव के 20 स्थानों तक शुद्धतापूर्वक ज्ञात कर सकता था। इस मशीन को डिफरेंस इंजन कहा जाता था , क्योंकि यह इस सिधांत के आधार पर बनाई गई थी कि किसी बीजगणितीय  बहुघातीय फलन (Polynomial ) में आस पास के दो मानों का अंतर सदा नियत रहता है। 

बैबेज का ऐनालिटिकल इंजन  Analytical Engine of Babbage

अपने डिफरेंसइंजनकी सफलता और उपयोगिता से प्रेरित होकर चार्ल्सबैबेज ने एक ऐसेयंत्र की रूप रेखा (Design) तैयार की जो आजकल केकंप्यूटरों से आश्चर्यजनक समानता रखती है।  इस मशीन को एनालिटिकल इंजन कहा गया। इस प्रस्तावित मशीन के पांच प्रमुख भाग थे - इनपुट इकाई , स्ओर, मिल , कण्ट्रोल तथा आउटपुट इकाई।  इस मशीन की डिज़ाइन अपने आप में सम्पूर्ण थी।  इसमें न केवल सभी गणितीय क्रियाओं को करने की क्षमता थी। बल्कि आंकड़ों को भंडारित करने का विचार भी इसी में पहली बार प्रस्तुत किया गया था। 
 
दुर्भाग्य से भारी मात्रा में धन खर्च करने के बाद भी यह मशीन कभी पूरी नहीं हो सकी , क्योंकि यह कार्य केवल यांत्रिक (Mechanical) साधनों से करना संभव नहीं है और उस समय आजकल जैसी तकनीके उपलब्ध नहीं थी।  चार्ल्स बैबेज का चिंतन अपने समय से लगभग एक सताब्दी आगे था और भले ही वे अपने प्रयासों में असफल रहे , परन्तु उनके कार्य के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। उनकी प्रस्तावित मशीन को आधुनिक कंप्यूटरों का आदि पुरुष माना जाता है और चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटरों का जनक (Father of computer ) कहा जाता है। 

पंचकार्ड उपकरण Punched Card Devices 

 जोसेफ - मेरी जैकार्ड (1752 - 1834)फ़्रांस का एक बुनकर और टेक्सटाइल इंजिनियर था सन् 1801 में उसने एक ऐसी बुने मशीन का निर्माण किया , जिसमें बुनाई की डिजाईन डालने में छिद्र किये हुए कार्डो का उपयोग किया जाता था। ये कार्ड एक अंतहीन श्रृखला में एक के बाद एक बार-बार आते रहते थे , इसीलिए वह कार्डो पर किये हुए छिद्रों के अनुसार बुनाई की डिज़ाइन डालने में समर्थ हो जाता था।  आधुनिक कंप्यूटरों के संदर्भ में हम कह सकते है कि बुनाई की डिज़ाइन का इनपुट उन कार्डो पर था। 

जैकार्ड की इस खोज का सही महत्व काफी समय बाद चार्ल्स बैबेज ने पहचाना।  वास्तव में उन्होंने अपने एनालिटिकल इंजन की जो डिज़ाइन तैयार की थी , उसमें इनपुट देने का कार्य छिद्र किये हुए कार्डो द्वारा ही किया जाना था। 

चार्ल्स बैबेज के इस विचार को कार्यन्वित किया - अमेरिका के डॉ. हर्मन होलेरिथ ने। वे अमेरिका के जनगणना विभाग में थे। अमेरिका में सन् 1880 की जनगणना का सारा कार्य हाथ से किया  गया था। जिसमें कई वर्ष लग गए थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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