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रिच डैड पुअर डैड Rich Dad Poor Dad Robert Kiyosaki in Hindi

 

Rich Dad Poor Dad Robert Kiyosaki in Hindi

हेल्लो दोस्तो DDRI में आप सभी का स्वागत है। हमारी आज कि पोस्ट RICH DAD POOR DAD पर है जिसको Robert T. Kiyosaki ने लिखा है। जो एक अमेरिकन Multimillionaire, investor , Business owner educator और speaker है।

Rich Dad Company के फाउंडर है। ये एक प्राइवेट education company है जो लोगो को books और विडियोज के थ्रू खुद के फाइनेंस और बिजनेस की नॉलेज प्रोवाइड करवाती है।

रॉबर्ट Kiyosaki का कहना है कि रिच लोग अपने बच्चों को जो मनी के बारे में सिखाते है। वो poor और मीडिल क्लास वाले लोग अपने बच्चों को नहीं सिखाते है।

रिच डैड poor डैड ऑथर की खुद की स्टोरी है। इनके दो father थे। एक बायोलॉजिकल जो उनको जन्म दिया , जो गरीब थे और दूसरा उनके बेस्ट फ्रेंड के father थे वो अमीर थे। दोनों ही father ने अलग-अलग सोच के साथ ये बताया कि सक्सेस को कैसे अचीव करना है। एक अपनी फैमिली के लिए 10 millions dollars और चर्च के लिए चैरिटी छोड़ कर गए थे। और दूसरे unpaid bill छोड़ कर गए थे। उनके रिच डैड उन्हें पैसे की इम्पोर्टेंस सिखाते है और पुअर डैड वैल्यूज की। तो ऑथर को अपने दोनों डैड के एक्सपीरियंस से काफी कुछ सीखने को मिला जो वो अपने रीडर्स के साथ शेयर करते है। 

1. इस बुक से हम  सीखेंगे ?

  • अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते , बल्कि पैसा उनके लिए काम करता है। 
  • आप कितना कमाते है इससे ज्यादा मायने रखता है की आपके पास कितना है। 
  • आप काम से काम रखना सीखिए। 
  • टैक्स किस तरह काम करते है। 
  • अमीर लोग पैसा इन्वेस्ट करते है।
  • सिखने के लिए काम करिए , पैसे के लिए नहीं। 
  • सीखिए किस तरह लाइफ की हार्डल्स को दूर किया जाए।
  • शुरुआत कीजिये। 

2. ये बुक किस किसको पढ़ना चाहिए ?

ये बुक हर किसी के काम आ सकती है ,  हर वो इंसान जो अमीर बनना चाहता है वो इस book से सीख सकता है कि पैसे से पैसा कमाया जाता है।  अमीर बनना भी एक आर्ट है और इस आर्ट को सिखने के लिए इस बुक के आईडिया आपकी काफी हेल्प करेंगे। 

3. इस book के ऑथर कौन है ?

रोबर्ट टी कियोसाकी एक अमेरिकन बिजनेसमैन और ऑथर है , उनका जन्म 8 अप्रैल , 1947 को हुआ था।  कियोसाकी रिच ग्लोबल एलएल सी और रिच डैड कंपनी के फाउंडर है जो बुक्स और विडियो के द्वारा लोगो को पर्सनल फाइनेंस और बिज़नस एजुकेशन प्रोवाइड कराती है। कंपनी का मेन revenue सोर्स रिच डैड की फ्रैंचाइज़ी सेमिनार्स है जोकि इंडिपेंडेंट लोग कियोसाकी का ब्रांड नेम यूज करके कंपनी को फीस के तौर पर देते है।  कियोसाकी ने अब तक 26 से ज्यादा मोटिवेशनल सेल्फ हेल्प बुक्स लिखी है जिनमें से रिच डैड पुअर डैड मोस्ट पोपुलर मानी जाती है।

रॉबर्ट कियोसाकि जोकि इस किताब के लेखक ,  उनके दो पिता थे। उनके एक पिता जो पढ़े - लिखे Ph D होल्डर थे मगर जिंदगी भर गरीब ही रहे और गरीब ही मरे। इसीलिए रॉबर्ट उन्हें पुअर डैड कहते थे। वहीं उनके दूसरे पिता बहुत पढ़े लिखे तो नहीं थे मगर काफी अमीर थे। उन्हें रॉबर्ट रिच डैड बुलाते थे। अब ये सोचने वाली बात है कि किसी भी इंसान के एक ही वक्त में दो पिता कैसे हो सकते है। 

उनके गरीब पिता का बस एक ही सपना था कि रॉबर्ट खूबमेहनत से पढ़ाई करने के बाद किसी बड़ी सी कंपनी में नौकरी करके अपना भविष्य सुरक्षित कर ले।मगर रॉबर्ट के दुसरे पिता जो अमीर थे , वे दरअसल रॉबर्ट के दोस्त माइक के पिता थे। वे चाहते थे कि रॉबर्ट अपनी जिंदगी में कुछ चैलेंज ले क्योंकि सारे सबक सिर्फ स्कूल में ही नहीं सीखे जाते। कुछ सबक ऐसे होते है जिन्हें इंसान अपनी जिंदगी के एक्सपीरियंस से भी सीखता है। स्कूली शिक्षा सिर्फ अच्छे ग्रेड्स दिला सकती है मगर जिंदगी की पढ़ाई बहुत कुछ सिखाती है।बेशक पढ़ाई लिखाई की अपनी अहमियत है मगर सिर्फ इसके भरोसे बैठकर ही सब कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। 

Chapter 1 : अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते 

एक बार एक आदमी था जिसके पास एक गधा था।  जब भी उसे अपने गधे से कुछ मेहनत करवानी होती थी तो वे एक गाजर को उसके सामने लटका देता था।  उस गाजर को देखते ही गधा उसे खाने के लालच में काम करता चला जाता था।  उसे उम्मीद थी कि एक दिन वो उस गाजर तक पहुँच ही जायेगा। अब ये उस आदमी के लिए तो एक अच्छी तरकीब बन गई मगर बेचारे गधे को कभी भी वो गाजर नहीं मिल पाई। क्यों ? इसलिए कि वो गाजर बस एक छलावा है। बहुत से लोग ठीक उस गधे की तरह ही होते है।  वे मेहनत पर मेहनत किये चले जाते है , इस उम्मीद में कि एक दिन वे अमीर बन जायेंगे।  मगर  लिए महज एक सपना बन के रह जाता है।  इस सपने के पीछे भागने से आप उस तक कभी नहीं पहुंच सकते। तो पैसे के लिए काम करने की बजाय पैसे को अपने लिए करने दे। 

जब आप अमीर बनना चाहते है तो सिर्फ पैसे कमाने के काम ना करे। क्योंकी जैसे ही हम अमीर बनने की राह में कदम बढ़ाते है , हमारा डर और लालच हम पर हावी होने लगता है कि कहीं हम गरीब के गरीब ही ना रह जाये। इसी डर से हम और ज्यादा महनत करने में जुट जाते है। फिर हमारा लालच हम पर हावी होने लगता है हम साड़ी खूबसूरत चीजों की कल्पना करने लगते है जो पैसे से हासिल की जा सकती है। अब यही डर और लालच हमें  चक्कर में उलझा देता है  कभी नहीं होता। तो हम अब और मेहनत करते कि और ज्यादा कमा सके और फिर हमारा खर्च भी उसी हिसाब से बढ़ने  लगता है। इसको ही अमीर  डैड "RAT RACE " रेट रेस कहते है। 

अब इसका नतीजा ये हुआ कि हम पैसे कमाने के लिए हद से ज्यादा मेहनत करते है , खर्च करते है।  ये एक ट्रैप है और आपको लालच और डर का ये ट्रैप अवॉयड करना है। क्योंकि हममें से अधिकतर लोग जो अमीर होना चाहते है , इसी ट्रैप का शिकार हो जाते है।  पैसे के पीछे मत भागिए बल्कि पैसे को अपने पीछे भागने के लिए मजबूर कर दीजिये।  आपकी नौकरी लगी है तो काम पर ये सोच कर मत जाईये की हर महीने आपको एक पे-चेक लेना है।  क्योंकि वो पे-चेक आपके सारे बिल्स मुश्किल से ही भर पाता है। ये हर महीने की कहानी जाती है।  फिर तंग आकर आप दूसरी नौकरी ढूंढकर और ज्यादा मेहनत करने लगते है। लेकिन तब भी आप पैसे के लिए ही काम कर रहे होते है। और यही वजह है कि आप कभी अमीर नहीं बन पाते। 

सच का सामना कीजिये। आप खुद के लिए जवाबदेह है दूसरों के लिए नहीं।  तो आपके जो भी सवाल है , खुद से पूछिये क्योंकि उनका जवाब सिर्फ आपके पास है।  क्या आप सिर्फ इसलिए काम कर रहे है कि अआपकी जिन्दगी में सिक्योरिटी रहे ? एक ऐसी नौकरी जहाँ से आपको निकले जाने का कोई डर न हो ? या फिर आप सिर्फ दो पैसे कमाने के लिए काम करते है ? और आपको लगता है कि एक दिन आप इस तरह अमीर हो जायेंगे।  क्या बस यही आपको संतुष्ट करने के लिए काफी है ?  अगर आपका जवाब हाँ है तो मुझे आपकी सोच पर अफ़सोस है क्योंकि आपने जो अमीर बनने का सपना देखा है वो कभी पूरा नहीं होने वाला। आप हमेशा गरीबी में ही जियेंगे।  लेकिन अगर आपका जवाब "ना " है तो आपका पहला कदम ये होगा कि सबसे पहले आप अपने मन से डर हटा दीजिये।  क्योंकि ज्यादा पैसा ना कमा पाने का डर और लालच ही आपको बगैर सोचे-समझे काम करने के लिए मजबूर करता है और हमारा यही कदम हमें नाकामयाबी की तरफ धकेलता है।  बेशक हम सब के अन्दर डर और चाहत की भावना होती है लेकिन उन्हें खुद पर इतना हावी ना होने दे कि हम उनके बस में होकर उलटे-सीधे फैसले लेने लग जाये। बेहतर कि हम जो भी करे पहले उसके बारे में खूब सोच ले।  हमेशा दिल से नहीं बल्कि दिमाग से काम लें।  

हर सुबह अपने आप से पूछिये क्या आप उतना कर पा रहे है जितना कि आपको करना चाहिए ? क्या आप अपनी पोटेंसिअल का पूरा इस्तेमाल कर पा रहे है ? आम लोगो की तरह सोचना छोड़ दीजिये कि "मेरा बॉस कम पैसा देता है , मुझे ज्यादा मिलना चाहिए , मैं इससे ज्यादा कमा सकता हूँ " याद रखिये , आपकी परेशानियों के लिए सिर्फ आप जिम्मेदार है , कोई और नहीं।  बॉस आपकी सैलरी नहीं बता तो उसे इल्जाम मत दीजिये , टैक्स को इल्जाम मत दीजिये।  जब आप खुद की समस्याओं की जिम्मेदारी लेते है तब सिर्फ आप ही उसका हल निकाल सकते है।  यही वो पहला सबक है जो अमीर डैड ने रोबर्ट को सिखाया।

इस सबक का एक पार्ट ये भी था कि अमीर डैड ने उन्हें एक कंविनियेंस स्टोर में काम पर लगा दिया।  उन्हें इस काम के कोई पैसे नहीं मिले। वे अपने दिल से काम में लगे रहे। इसका फायदा यह हुआ कि वे अपने दिल से काम में लगे रहे और इस दौरान कई नये आईडिया उनके दिमाग में आते रहे।  पैसे को अपने पीछे कैसे भगाया जाये इस बारे में उन्हें कई विचार मिले।  उन्होंने देखा कि उस स्टोर की क्लर्क कॉमिक्स बुक के फ्रंट पेज को दो हिस्सों में फाड़ देती थी।  देर शाम स्टोर में एक डिस्ट्रीब्यूटर आया करता था।  वो कोम्मिक्स बुक के उपरी आधे हिस्से को क्रेडिट के लिए लेता और बदले में नई कॉमिक्स बुक्स दे जाया करता।  एक दिन उन्होंने उस डिस्ट्रीब्यूटर से पूछा कि क्या वो पुरानी कॉमिक्स बुक्स ले सकते है वो इस शर्त पर मान गया कि वे उन कॉमिक्स को बेचेंगे नहीं। ये उनके दिमाग में बिज़नस का एक नया आईडिया था। 

उन्होंने वे पुरानी कॉमिक्स बुक्स अपने दोस्तों और बाकी बच्चों को पढ़ने के लिए किराये पर देनी शुरू कर दी। बदले में हर किताब का 10 सेंट किराया वसूल करते थे।  हर किताब सिर्फ दो घंटे के हिसाब से पढ़ने के लिए दी जाती थी तो असल मायनों में वे उन्हें बेच नहीं  रहे थे। उन्हें उस गैराज पर काम भी नही करना पड़ा जहाँ से वे कॉमिक्स किराये पर देते थे उन्होंने माइक की बहन को काम पर रखा जिसके लिए हर हफ्ते 1 डॉलर दिया जाता।  एक ही हफ्ते में उन्होंने 9 - 15 डॉलर कमाए।  इस तरह उन्होंने सिखा कि पैसे को खुद के लिए काम करने दो ना कि आप पैसे के लिए काम करो। 

सबक 2 : फिनान्सिली लिट्रेसी क्यों सिखाई जाये ?

1923 में एजवाटर बीच होटल , शिकागो में एक मीटिंग हुई।  दुनिया के बहुत से लीडर और बेहद अमीर बिज़नसमेन इस मीटिंग का हिस्सा बने।  इनमें से थे एक बहुत बड़ी स्टील कंपनी के मालिक चार्ल्स शवाब और समुअल इंसुल उस वक्त बड़े बिज़नस मेन।  इस मीटिंग के 25 साल बाद इनमें से कई लोग गरीबी में मरे , कुछ ने ख़ुदकुशी कर ली थी और कइयो ने तो अपना दिमागी संतुलन खो दिया था। 

असल बात तो ये है कि लोग पैसे कमाने में इतने मशगूल हो जाते है कि वों ये खास बात सीखना भूल जाते है कि पैसे को रखा कैसे जाए।  आप चाहे जितना मर्जी पैसा कमा ले , उसे बनाये रखना असली बात है और अगर ये हुनर आपने सिख लिया तो आप किसी भी आड़े - टेढ़े हालात का सामना आसानी से कर लेंगे। 

लाटरी में मिलियन जितने वाले लोग कुछ साल तक तो मजे से जीते है मगर फिर वापस उसी पुरानी हालात में पहुँच जाते है। अधिकतर लोगो के सवाल होते है की अमीर कैसे बनें ? या अमीर बनने के लिए क्या करें ? इन सवालो के जवाब से अधिकतर लोगो को निराशा ही होती है।  

मगर इसका सही जवाब होगा कि पहले आप फाइनेंसियल लिट्रेट  बनना सीखे।  देखिये ! अगर आपको एम्पायर स्टेट बिल्डिंग खड़ी करना है  तो सबसे पहले आपको एक गहरा गड्ढा खोदना पड़ेगा। फिर उसके लिए एक मजबूत नीव रखनी पड़ेगी।  लेकिन अगर आपको एक छोटा सा घर बनाना हो तो एक 6 इंच कंक्रीट स्लेब डालकर भी आपका काम चल जायेगा।  मगर अफ़सोस तो इस बात का है कि हम में से ज्यादातर लोग 6 इंच स्लेब पर एम्पायर स्टेट बिल्डिंग खड़ी करना चाहते है और वे ऐसा करते भी है तो जाहिर है कि बिल्डिंग टूटेगी ही टूटेगी।  गरीब डेड रोबर्ट से बस यही चाहते थे कि वे खूब पढाई करे , लेकिन अमीर डैड उसे फाइनेंसियल लिट्रेट बनाना चाहते थे।  ज्यादातर स्कूल सिस्टम बस घर बनाना सिखाते है , मजबूत फाउंडेशन नहीं।  स्कूली शिक्षा और पढाई की अपनी अहमियत है मगर असल जिन्दगी में ये ही सब कुछ नहीं है।  

लिएबलिटीज़ और एसेट्स के बीच फर्क समझे और एसेट्स ख़रीदे। 

सुनने में बड़ी आसान बात लगती है। लेकिन यही एक रूल है जो आपको अमीर बनाने में मदद करेगा। अक्सर गरीब और मिडिल क्लास लोग लाएबिलिज को एसेट्स समझ लेते है।  मगर अमीर जानता है कि असल में एसेट्स होते क्या है और वो वही खरीदता है। अमीर डैड किस प्रिसिप्ले में यकीन रखते है जिसका मतलब है किप इट सिंपल , स्टुपिड। उन्होंने लेखक और उसके दोस्त माइक को यही सिंपल बात सिखाई जिसकी बदौलत वे इतनी मजबूत फाउंडेशन रखने में कामयाब रहे। 

इस सीख की यही सिंपल बात है की लाएबिलिटीज और एसेट्स के बीच फर्क समझे और एसेट्स ख़रीदे लेकिन अगर ये इतना ही सिंपल है तो हर आदमी अमीर होता। है न ? मगर यहाँ मामला उल्टा है।  ये दरअसल इतना सिंपल है कि हर कोई इस बारे में सोचता तक नहीं है।  लोगो को लगता है कि उन्हें लाएबिलिटीज और एसेट्स के बीच फर्क पता है मगर उन्हें सिर्फ लिट्रेसी के बारे में मालुम है फाइनेंसियल लिट्रेसी के बारे में नहीं। 

एसेट्स का कैश फ्लो पैटर्न कुछ इस तरह होता है :

इनकम स्टेटमेंट 

बैलेंस शीट

इनकम स्टेटमेंट को "प्रॉफिट और लॉस " का स्टेटमेंट मानकर चलना चाहिए इसका सिंपल सा मतलब है इनकम कि आपके पास कितना पैसा आया और एक्सपेंस है कि आपसे कितना पैसा खर्च हुआ बैलेंस शीट एसिड और लायबिलिटीज के बीच बैलेंस बताती है बहुत से पढ़े लिखे अकाउंटेंट्स को भी यह पता नहीं होता कि आखिर बैलेंस शीट और इनकम स्टेटमेंट कैसे एक दूसरे से जुड़े हैं

लायबिलिटीज में कैश फ्लो कुछ ऐसा होगा :

इनकम स्टेटमेंट 

बैलेंस शीट 

इनकम स्टेटमेंट को प्रॉफिट और लोस का स्टेटमेंट मानकर चलना चाहिए . इनकम कि आपके पास कितना पैसा आया और एक्सपेंस है की आपसे कितना पैसा खर्च हुआ . बैलेंस शीट एसेट्स और लाईबलिटीज के बीच बैलेंस बताती है . बहुत से पढ़ें - लिखे एकाउंटेंट्स को भी ये पता नहीं होता कि आखिर बैलेंस शीट और इनकम स्टेटमेंट कैसे एक दुसरे से जुड़े है .

लाएबिलिटिज में कैश फ्लो कुछ ऐसा होगा :

इनकम स्टेटमेंट 

बैलेंस शीट

अब यह चार्ट देखने में बहुत सिंपल है इसे आसानी से लोगों को समझाया जा सकता है ऐसे स्ट वे चीजें होती है जो आपके लिए पैसे कमाने का काम करती है मान लो आप कोई घर खरीद कर उसे किराए पर देते हैं तो उसी कीराये  से आप वह लोन भी चुका सकते हैं जो आपने घर खरीदने के लिए लिया था अब घर भी आपका हुआ और उससे मिलने वाला किराया भी इसके उलट लायबिलिटीज आपकी जेब से पैसे खर्च करवाती है जैसे कि घर खरीद कर उसमें रहने से आपको कोई किराया नहीं मिलने वाला तो अब आप समझ गए होंगे कि अगर अमीर बनना है तो एसएस खरीदिए और गरीब ही रहना है तो लायबिलिटीज

अमीर लोगों के पास ज्यादा पैसा इसलिए होता है कि वह इस प्रिंसिपल पर यकीन करते हैं वहीं दूसरी तरफ गरीब लोग इस प्रिंसिपल को ठीक से समझ ही नहीं पाते इसलिए इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि सिर्फ लिटरेट नहीं बल्कि फाइनेंसियल स्टेट बनिए नंबर से कुछ नहीं होता फर्क तो तब पड़ता है जब आप अपनी कहानी खुद लिखे अधिकतर परिवारों में यह देखा गया है कि जो मेहनती होता है उसके पास पैसा भी ज्यादा होता है मगर उसका फायदा क्या जब सारा पैसा लैब में ही खर्च हो जाए यह एक मिडिल क्लास का कैश फ्लो स्टेटमेंट

इनकम स्टेटमेंट 

बैलेंस शीट

यह चार्ट दिखाता है कि मिडिल क्लास आदमी अपना पैसा किस तरह खर्च करता है और अगर यही उनका तरीका रहता है तो सारी जिंदगी पर middle-class ही बनकर रहते हैं या क्या पता उस क्या पता उससे भी नीचे चले जाए क्योंकि आप देख सकते हैं कि उनका सारा पैसा लायबिलिटीज में ही खर्च हो रहा है कभी मोटर्स , कभी रेंट, कार लोन, हाउस लोन, क्रेडिट कार्ड का बिल, फीस और भी ना जाने क्या-क्या उनकी सारी कमाई इसी में खर्च हो जाती है 

दूसरी ओर गरीब लोग हैं जिनके कोई लायबिलिटी तो नहीं है मगर उनके कोई एसेट्स भी नहीं होते वे भी पैसा कमाते हैं सैलरी पाते हैं मगर हर रोज के खर्चों में उनका सारा पैसा उड़ जाता है माना एक गरीब आदमी हजार डॉलर कमाता है उसमें से $300 वह अपने छोटे से घर के किराए में खर्च का है $200 उसके आने जाने का किराया $200 और $200 खाने और कपड़ों में खर्च हो जाता है अब उसके पास क्या कुछ भी नहीं और कभी-कभी तो उधार लेकर काम चलाना पड़ता है जिससे वह और गरीब हो जाता है 

इसके उलट अमीर एसेट्स खरीद कर रखते हैं फिर उनके वो एसेट्स उन्हें और पैसा कमा कर देते हैं उनकी कमाई इसी तरह दो से चार, चार से आठ होती जाती है अधिकतर अमीर लोग दिमाग से काम लेते हैं  वे घर लोन पर लेकर उसे किराए पर लगा देते हैं बिना मेहनत के हर महीने किराया मिलता है जिससे वे अपना लोन भी चुकता कर लेते हैं माने के लोन की इंस्टॉलमेंट $1 है तो यह अपने घर का $2 किराया वसूल करेंगे $1 बैंक को देंगे $1 अब तो हो गया ना यह बिना मेहनत के पैसे कमाना तो असल में अमीर और गरीब के बीच का फासला है अपना पैसा कैसे खर्चे सिर्फ यही मुद्दे की बात है और कुछ नहीं



1960 के दिनों में अगर बच्चों से पूछा जाता था कि वह बड़े होकर क्या बनेंगे तो सबके पास यही जवाब होता था कि वह अच्छे ग्रेट चलाएंगे और डॉक्टर बनेंगे तब सबको यही लगता था कि अच्छे ग्रेड से लेकर भी बहुत पैसा कमा सकेंगे हालांकि उनमें से बहुत बच्चे आज बड़े होकर डॉक्टर बन चुके हैं बावजूद इसके उनमें से काफी लोग आज भी फाइनेंसियल ईयर स्ट्रगल करते नजर आएंगे क्योंकि उन्हें हमेशा यही लगा कि ज्यादा पैसा कमाने से उनकी सारी परेशानियां दूर हो जाएंगे मगर आज के दौर में ऐसा नहीं है आज बहुत से बच्चे फेमस एथलीट बनना चाहते हैं या फिर सीईओ या फिर कोई मूवी स्टार या रॉकस्टार क्योंकि उन्हें पता है कि सिर्फ अच्छी पढ़ाई और अच्छे ग्रेड के भरोसे बैठ कर दे करियर में सक्सेस नहीं पा सकते


आज का आज कल फाइनेंसियल नाइटमेयर बहुत आम हो गया है

अक्सर नए शादीशुदा जोड़े यह सोचते हैं कि उनकी सैलरी अब डबल हो जाएगी क्योंकि दोनों लोग कमाएंगे एक छोटे से घर में रहते हुए बड़े घर के सपने देखते हैं इसलिए पैसा बचाना शुरू कर देते हैं इसकी वजह से उनका सारा ध्यान सिर्फ अपना करियर बनाने पर होता है उनकी कमाई बढ़ने लगती है तो जाहिर है उसी हिसाब से खर्चे भी अब जब आप चले बिना पैसा बनाते हैं या बिना सोचे समझे उसे खर्च करते हैं तो होता यह है कि आप पहले से भी ज्यादा खर्च करने लगते हैं यह एक ऐसा चक्कर है जो फिर चलता ही रहता है


नए जोड़े ने अब इतना पैसा कमा लिया है कि वह एक बड़ा घर खरीद सकते उन्हें तो यही लगेगा कि वे अब थोड़े अमीर हो गए हैं मगर असलियत यह है कि बड़े घर के साथ उन्होंने नई लायबिलिटीज भी खरीद ली है उनके कैश फ्लो में अब प्रोपर्टी टैक्स का खर्च बढ़ गया अब उन्हें एक नई गाड़ी भी चाहिए, फर्नीचर भी, सब कुछ नया उनकी लाएबिलिटज बढ़ती ही चली जा रही है और ज्यादातर होता यही है कि इनकम साथ-साथ खर्चे भी बढ़ने लगते हैं फिर एक दिन अचानक इस सच्चाई का खुलासा होता है मगर तब तक हम इस रेट रेस में बुरी तरह फस चुके होते हैं


फिर ऐसे ही लोग हमारे लेखक रोबोर्ट के पास आकर पूछते हैं कि अमीर कैसे बना जाए? अब यही सवाल तो मुसीबत की जड़ है क्योंकि सबको लगता है कि पैसा ही हर चीज का इलाज है यह मानना है एक बड़ी गलती है उनकी समस्या यह नहीं है कि वह ज्यादा नहीं कमा रहे बल्कि यह है कि जो कुछ उनके पास है उसे हैंडल कैसे करें एक कहावत है जो यहां पर लागू होती है जब तुम खुद को एक गहरे गड्ढे में पाऊं तो और खोदना छोड़ दो 

क्यों ज्यादातर लोग पब्लिक स्पीकिंग से घबराते हैं ? 

मनोचिकित्सकों का मानना है कि लोग इसलिए घबराते हैं क्योंकि उन्हें रिजेक्शन का डर होता है और उसे अलग होने का भय होता है लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे या हम पर कहीं हस ना दें यही सोचकर अधिकांश लोग पब्लिक स्पीकिंग से दूर भागते हैं वे वही करना पसंद करते हैं जो सब कर रहे होते हैं खुद को भीड़ का हिस्सा बना कर संतुष्ट हो जाते हैं आपका घर आपका सबसे बड़ा एसेट्स है "लोन लीजिए" अब प्रमोशन हो गया है और सैलरी बढ़ गई है तो नया घर लो , यह सब बातें हम लोगों से सुनते रहते हैं 

और फिर हम भी उसी रास्ते पर चल पड़ते है क्योंकि जो सब कर आरहे है वो जरुर सही होगा . है कि नहीं ? मगर नहीं , ऐसा बिलकुल नहीं है . अमीर डैड ने कहा था कि जापानीज लोग तीन चीजो की तागत जानते थे . तलवार , कीमती जवाहरात और शीशा . तलवार बाजुओ की तागत का प्रतीक है , कीमती जवाहरात पैसे की तागत का और शीशा खुद के अंदर छुपी हुई तागत को दिखता है और वही हमारी सबसे बड़ी तागत है . जब आप खुद से सवाल पूछ सकते हो कि मैं सही हूँ या मुझे भी भीड़ का हिस्सा बनकर रहना चाहिए, तो जो जवाब आपको मिलेगा वही आपकी असली तागत है . गरीब और मिडिल क्लास खुद को पैसे का गुलाम बनने देते है इसीलिए वो कभी अमीर नहीं बन पाते .

16 साल के रोबर्ट और माइक अमीर डैड के साथ हर उस मीटिंग में जाया करते थे जो वे अपने एकाउंटेंट्स , मेनेजर , इन्वेस्टर और एम्प्लोयी के साथ रखा करते . यहाँ एक ऐसे अमीर डैड देखने को मिलते है जो पढ़े-लिखे नहीं है , जिन्होंने 13 साल में ही स्कूल छोड़ दिया था मगर आज वो मीटिंग्स रखते है , अपने निचे काम करने वाले पढ़े-लिखे लोगो को ऑर्डर देते है , उन्हें बिज़नस के टिप्स समझाते है एक ऐसा इंसान जो भीड़ का हिस्सा नहीं बना , जिसने रिस्क लिया और जिसने लोगो की परवाह नहीं की . जिसे ये डर नहीं था कि लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे ? इन मीटिंग्स का नतीजा ये हुआ कि लेखक और उनका दोस्त दोनों ही स्चूली पढाई में मन नहीं लगा पाए .

जब उनकी टीचर कोई कम देती थी,उन्हें रूल्स के हिसाब से करना होता था . उन्हें अहसास हुआ कि स्चूली पढाई किस तरह से बच्चो की प्रतिभा को निखरने नहीं देती . उनकी क्रिएटिविटी को मार कर उन्हें एक सोचे सांचे में ढाल कर इस समाज का एक मशीनी हिस्सा भर बना देती है . और उन्हें टीचर की इस बात से भी इंकार था कि अच्छे ग्रेड लाकर ही सक्सेसफुल और अमीर बना जा सकता है . एक दिन रोबर्ट की अपने गरीब डैड से बहस हो गई उनके पिता का मानना था कि उनका घर उनके लिए सबसे बेस्ट इन्वेस्टमेंट है .

मगर वो एक रेट रेस में भाग रहे थे . उनकी इनकम और खर्चे बराबर ही थे . उन्हें पूरा करने के लिए उनके पास एक पल की भी फुर्सत नहीं थी यही बात रोबर्ट उन्हें समझाना चाह रहे थे कि उनके पिता के लिए वो घर एसेट्स नहीं लाएबिलिटज है . घर पर उनके पैसे खर्च हो रहे थे बदले में मिल कुछ नहीं रहा था . ये बात उनके गरीब डैड समझ नहीं पा रहे थे और यही फर्क था गरीब और अमीर डैड के बीच .

खैर, उनकी बहस चलती रही . उन्होंने अपने गरीब पिता को बताया की अधिकतर लोगो की जिन्दगी लोन चुकाने में ही निकल जाती है जिस घर को वे खरीदते है उसके लिए वे 30 साल तक लोन भरते है . फिर एक और बड़ा घर लेते है और अपना लोन रीन्यू करवाते है . अब घर की कीमत भी उसी हिसाब से बढ़ेगी या नहीं ये निर्भर करता है .

कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने घर खरीदने के लिए एक बड़ी रकम ली थी जितनी घर की कीमत नहीं थी उससे ज्यादा कर्ज उनके सर पर चढ़ गया .

इसका सबसे बड़ा नुकसान लोगो को ये होता है कि वे बाकी जगह इन्वेस्टमेंट नहीं कर पाते क्योंकि उनका सारा पैसा उस घर पर लगा है उन्हें कभी इन्वेस्टमेंट करने का मौका ही नहीं मिल पता और ना ही वे इस बारे में कुछ सिख पाते है और इस तरह कई एसेट्स उनके हाथ से निकल जाते है .अगर इसके बदले लोग सिर्फ एसेट्स पर ध्यान दे तो उनका फ्यूचर कहीं ज्यादा बेहतर हो सकता है .

अब उदाहरण के लिए रोबर्ट की पत्नी के पेरेंट्स एक बड़े से घर में शिफ्ट हो अगये . उनका सोचना था कि अपने लिए बड़ा और नया घर लेना एक सही फैसला है . क्योंकि बाकियों की तरह उन्हें भी घर लेना एक एसेट्स लगता था . मगर वे ये जानकर हैरान रह गए कि उस घर का प्रॉपर्टी टैक्स 1000 डॉलर था . ये उनके लिए एक बड़ी कीमत थी और क्योंकि वे रिटायर हो चुके थे तो इतना पैसा टैक्स के रूप में भरना उनके रिटायरमेंट बजट के बाहर था . बेशक हम ये नहीं कर रहे कि आप एक नया घर ना ले . बल्कि हम समझाना चाहते है कि जितने पैसे से आप एक बड़ा घर लेंगे उतने पैसे आप किसी एसेट्स में इन्वेस्ट करे तो बेहतर होगा . आपका एसेट्स आपके लिए कमाई करेगा और कुछ ही समय बाद आपके पास इतना पैसा होगा कि आप आसानी से मनपसंद घर ले पायेंगे वो भी बिना किसी लोन के .

अमीर और ज्यादा अमीर क्यों होते रहते है , वहीं मिडल क्लास आगे क्यों नहीं बढ़ पाते , इसके पीछे भी एक वजह है कारण सीधा है अमीर एसेट्स खरीदते है जो उनका पैसा दुगना करता रहता है . उस पैसे से उनके सारे खर्चे मजे में निपट जाते है और मिडल क्लास क्या करते है ? वे तो बस महीने की एक तारीख का इंतेजार करते है जब उनकी सैलरी आए . सारी की सारी सैलरी तो खर्चो को पूरा करने में ख़त्म हो जाती है तो इन्वेस्टमेंट कहाँ से होगा और जब सैलरी बढ़ती है तो उस पर टैक्स भी बढ़ जाता है और उसी हिसाब से बाकि खर्चे भी फिर अंत में वही रेट रेस चलती रहती है .

एक कर्ज में डूबा समाज, जहां हम रहते है।


अपने घर को एसेट्स समझना ही वो वजह है जो हमें कर्ज के बोझ तले दबाती है। आज यही अधिकतर लोगो कि सोच है। अगर सैलरी बढ़ी है तो लोग सोचते है कि अब वे बड़ा सा घर ले सकते है क्योंकि उन्हें है ये अपने पैसे का सही इस्तेमाल लगता है। इसके बदले अगर वही पैसा सही जगह लगाया जाए तो उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल सकती है। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता क्योंकि उनका सारा वक्त हाड़- तोड़ मेहनत करने में चला जाता है। अपनी नौकरी को सेफ जोन समझ कर वे उससे अलग कुछ सोच ही नहीं पाते। और साथ ही उनपर कर्ज का इतना बोझ होता है कि वे नौकरी छोड़ने का रिस्क ले ही नहीं सकते। अब जरा खुद से ये सवाल कीजिए कि आज आप नौकरी छोड़ कर बैठ जाते है तो कितने दिन आपका गुजारा चलेगा? क्योंकि अगर आप फाइनेंशियली लिट्रेट नहीं है,अगर  आपने सारी उम्र सिर्फ सैलरी के भरोसे ही काटी है , और एसेस्ट्स के बदले आपने liabilities ली है तो यकीनन आपकी जिंदगी एक कड़ी चुनौती है।

सिर्फ नेट वर्थ के भरोसे आपका काम नहीं चल सकता। नेट वर्थ बताता है कि आपके पास वाकई में कितना पैसा है चाहे वो एक गैराज में पड़ी पुरानी कार के रूप में ही क्यों ना हो। अब भले ही वो कार कुछ काम की नहीं हो। जबकि वेल्थ का मतलब है कि आपके पास जो पैसा है उससे आप ितना और पैसा कमा रहे है।

जैसे कि मान लीजिए आपके पास कोई एसेट्स है जिससे हर महीने मुझे 3000 डॉलर की कमाई हो जाती है, और हर महीने आपके 6000 डॉलर खर्चे है तो मैं सिर्फ आधे महीने ही अपना गुजारा कर पाऊंगा। तो सॉल्यूशन ये होगा कि अपने एसेट्स से मिलने वाला पैसा बढ़ा दें।

जब वो 6000 डॉलर मिलने लगेगा तो आप रातो रात अमीर नहीं हो जाएंगे मगर इस तरह आप wealthy होने लगेंगे। अब अगर आप अचानक नौकरी छोड़ते भी है तो आपके एसेट्स सारा खर्च कवर कर लेंगे। आप वेल्थी तभी बन पायेंगे जब आपके खर्च आपके एसेट्स की ग्रोथ से कम रहे।

तीसरा सबक 3: अपने काम से काम रखे

दुनिया की सबसे बड़ी फूड चेन मैक डोनाल्ड के फाउंडर रे क्रोक ने एक एमबीए क्लास में एक स्पीच दी। ये 1947 की बात है। उनकी ये स्पीच बड़ी ही शानदार थी, लोगो को प्रेरित करने वाली। स्पीच के बाद जब एमबीए क्लास के छात्रों ने कुछ वक्त उनके साथ बियर पीने चले गए। बातो- बातो में र ने अचानक एक सवाल किया क्या आप लोग जानते  है कि मैं किस बिजनेस में हूं?

अब ये बात तो सबको मालूम थी कि वे हेम बर्गर बेचते थे। इस बात पर वे हंसने लगे और बोले कि उनका असल बिजनेस तो रीयल एसेट्स है। क्योंकि मैक डोनाल्ड के लिए हर लोकेशन का चुनाव सोच समझकर किया जाता है। जहां उसकी फ्रेंचाइजी बनाई जाती है, वो जमीन भी साथ ही बेची जाती है, तो इसका सीधा मतलब है कि मैक डोनाल्ड की फ्रेंचाइजी खरीदने वाले को वो जमीन भी खरीदनी पड़ती थी। तो इस तरह से ये एक रीयल एसेट्स बिजनेस भी हुआ।

यही सबक अमीर डैड ने रॉबर्ट को सिखाया कि अक्सर लोग खुद के लिए छोड़कर बाकी सबके लिए काम करते है। वे टैक्स पे करके गवर्नमेंट के लिए काम करते है, उस कंपनी के लिए काम करते है जहां वे नौकरी करते है, बैंक का मोर्टेज देकर उसके लिए काम करते है। और ये सब इसलिए क्योंकि हमारा education system ही ऐसा है। स्कूल हमें एम्प्लॉय बनना सिखाया है नाकी एंप्लॉयर। जो आप पढ़ते है वही आप बनते है। अगर आपने साइंस पढ़ी तो डॉक्टर। मैथमेटिक्स पढ़ी तो इंजिनियर, मतलब जो आपने पढ़ा वो आप बने। अब मुसीबत तो ये है कि इससे छात्रों का कोई भला नहीं हो पाता क्योंकि वे नौकरी और बिजनेस के बीच के फर्क में उलझ कर रह जाते है।

जब कोई पूछता है कि आपका क्या बिजनेस है तो आपको ये नहीं बोलना चाहिए कि मैं तो एक डॉक्टर हूं या एक बैंकर हूं क्योंकि वो आपका प्रोफेशन है, बिजनेस नहीं। कहने का मतलब है कि आप जो करते है उसे अपना बिजनेस बनाए, नौकरी नहीं। अपनी सारी उम्र दूसरो के लिए काम करके उन्हें अमीर करने में बर्बाद ना करे बल्कि खुद की जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए काम करें।

बहुत से लोगो को इस बात को अहसास बड़ी देर से होता है कि उनका हाउस लोन उनकी जान ले रहा है और फिर उन्हें लगता है कि जिसे वे एसेट्स मानने को ग़लती कर रहे थे दरअसल कभी एसेट्स था ही नहीं। जैसे उन्होंने कार ली, तो उससे जुड़े तमाम खर्चे उनकी liabilities बन गए। उन्हें पूरा करने के लिए नौकरी जरूरी है और अगर कभी वो सेफ जॉब उनके हाथों से निकाल गई तो उनकी मुसीबतें शुरू हो जाती है। इसीलिए तो हम एसेट्स कॉलम पर इतना जोर दे रहे है ना कि आपकी इनकम कॉलम पर और फाइनेंशियल सिक्योर होने का यही एक तरीका है।

आप कितने अमीर है, ये जानने का सही तरीका नेट वर्थ इसलिए नहीं है क्योंकि जब भी आप अपने असेस्ट्स बेचते है तो इनपर भी टैक्स लगता है। आपको उतना पैसा नहीं मिलता जितना कि आप सोचते है। आपके बैलेंस शीट के हिसाब से आपको जितना भी पैसा मिलेगा उस पर भी आपको टैक्स देना पड़ेगा।

जो आप कर रहे है उसे एकदम मत छोड़िए। ये किताब आपको कभी भी ये सलाह नहीं देगी। अपनी नौकरी करते रहिए पर साथ में एसेट्स खरीदते रहिए। और एसेट्स से मेरा मतलब है सही और असली मायने में एसेट्स। मैं ये नहीं कहूंगा कि आप कोई कार लीजिए क्योंकि वे मेरी नजर में एसेट्स नहीं है क्योंकि जैसे ही आप उसे चलाना शुरू करते है वो अपनी कीमत का 25% खो देती है। जितना हो सके खर्चे में कटौती करे और liabilities घटाए। यहां हम आपको कुछ उदाहरण देते है:

ऐसा बिजनेस जहां आपकी मौजूदगी जरूरी ना हो, जो दूसरे लोग आपके लिए चलाए। क्योंकि आप वहां ज्यादा समय देंगे तो वो बिजनेस नहीं नौकरी होगी।

रीयल एस्टेट में पैसा लगाएं
स्टॉक और बॉन्ड खरीदे।


जब एसेट्स खरीदे तो अपनी पसंद के चीजों पर पैसा लगाए। क्योंकि आपका मन होगा तभी उस पर ध्यान दे पाएंगे। अगर उस में आपकी रुचि होगी तभी उसे आप बेहतर समझ पाएंगे। रॉबर्ट को रीयल एस्टेट और स्टोक्स में रुचि थी खासकर छोटी कंपनियों में इन्वेस्ट करना। अपने अमीर डैड की सलाह पर उसने अपनी नौकरी कभी नहीं छोड़ी। वो जॉब करता रहा साथ ही अपने एसेट्स कॉलम को बड़ा और मजबूत बनाता चला गया। एक पैसा भी जो आप कमाते है उसे बेकार ना जाने दे।

अपने पैसे को अपना गुलाम मान कर चलिए जो आपके लिए काम करे। आप लक्जरी खरीदना चाहते है शौक से खरीदे, कोई बड़ी बात नहीं। मगर ये ना भूले कि अमीर और मीडिल क्लास में यही सोच का फर्क है। जहां मीडिल क्लास पैसा आते ही पहले लक्जरी में खर्च करेगा वहीं अमीर आदमी उसे अंत में खरीदेगा। इतना समझ लोगो के सबसे बड़े सीक्रेट के बारे में जानेंगे।

सबक 5: अमीर पैसा इन्वेंट करते है:

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन इन्वेंट करने के बाद उसे पेटेंट कर दिया था। इनका बिजनेस बड़ा और संभालने में मुश्किल होने लगी तो वे वेस्टर्न यूनियन गए और उन्हें अपना पेटेंट और छोटी सी कंपनी 100,000 डॉलर में बेचने की पेशकश की उस वक्त के वेस्टर्न यूनियन के प्रेसिडेंट ने पेशकश ठुकरा दी। उन्हें ये दाम कुछ ज्यादा लग रहे थे और फिर उसके बाद एक बड़ी कंपनी AT & T का जन्म हुआ। रॉबर्ट 1984 से प्रोफेशनल तौर पर पढ़ा रहे है। एक चीज जो हजारों लोगों को पढ़ाने के बाद उन्होंने जानी वो ये कि उन सब लोगो में potential था। बल्कि हर एक इंसान में potential है जो हमें महान बना सकती है। इसके बावजूद जो हमें रोकता है वो है, खुद पर डाउट रखना।

स्कूल छोड़ने के बाद हमें पता चलता है कि जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए सिर्फ ग्रेड्स ही काफी नहीं होते। जैसे सिर्फ स्मार्ट लोग ही आगे नहीं बढ़ते बल्कि वे भी बढ़ते है जो बोल्ड होते है। ये सच है कि फाइनेंशियल जिनीयस होने के लिए इसकी नॉलेज भी होनी चाहिए मगर साथ ही हिम्मत और बोल्डनेस भी चाहिए। ज्यादातर लोग पैसे के मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते मगर अमीर होने के लिए आपको रिस्क लेने ही पड़ेगे। क्योंकि हो सकता है आने वाले सालो में एक नया बिल गेट्स पैदा हो या अगला अलेक्जेंडर ग्राहम बेल और बाकी शायद दिवालिया बनकर गरीब हो जाए। अब ये आपकी मर्जी है, आप इनमें से क्या बनना चाहते है।

अगर आप अपना फाइनेंशियल IQ बढ़ाते है तो बहुत कुछ हासिल कर सकते है और अगर नहीं तो आने वाले साल और भी डरावने हो सकते है क्योंकि हर पुराना जाता है तो नया आता है। तो जो आज है वही सबसे खुशहाल वक्त है। आज के दौर में लोग ज्यादा फाइनेंशियली स्ट्रगल कर रहे है क्योंकि उनकी सोच अभी भी पुरानी है। फिर वे अपनी ग़लती ना मानकर या तो अपने बॉस को इल्जाम देंगे या न्यू टेक्नोलॉजी को जो कभी कल के दौर में एसेट्स था वही आज liabilities बन चुका है। तो आपको अपडेट रहने की जरूरत है। रॉबर्ट ने एक गेम डिजाइन किया है जिसे वे कैश फ्लो कहते है। ये लोगो को सिखाता है कि पैसा कैसे काम करता है? अमीर बनने की राह क्या है और रेट रेस से बाहर कैसे निकलें ? ये सारी चीजें इस गेम से समझाने कि कोशिश की गई है।

एक दिन एक औरत आई गेम खेलने के दौरान उसने एक बोट कार्ड जीता जिसका मतलब था कि उसने उस गेम में बोट जीती वो औरत बड़ी खुश हुई मगर जब उसे पता चला कि बोट लेने के लिए उसे एक बड़ी रकम टैक्स भरनी होगी तो उसकी ख़ुशी गायब हो गई वो बोट उसके लिए अब एसेट नहीं बल्कि लायबिलिटी बन गई उसे अब पता चला कि ऐसे तो ये बोट उसकी जान ही ले लेगा . उसे ये आईडिया समझ नहीं आया और रिफंड की मांग की उसे उसके पैसे वापस मिल गए और वो चली गई . मगर बाद में उसने फोन करके बताया कि उसे अब गेम का आईडिया कुछ समझ आने लगा था . वो उस गेम से अपनी लाइफ को जोड़ कर देख पा रही थी .

पैसा कैसे काम करता है इस बात को समझ ना पाने की वजह से उसका गुस्साजायज था हम भी अक्सर यही करते है जो बात हमारी समझ से परे होती है, उस पर हमें गुस्सा आता है और हम जिन्दगी की हर परेशानी के लिए उसे ब्लेम करना शुरू कर देते है . मगर अगर ठंडेदिमाग से सोचे तो ये तरीका एकदम गलत होगा . बेहतर होगा कि हम उन्हें समझने की कोशिश करे तो गेम ऑफ लाइफ जीत सकते है .

बहुत से लोग कैश फ्लो गेम में खूब पैसा जीतते है फिर उन्हें समझ नहीं आता कि उस पैसे का क्या करे तो वे हरने लगते है इसकी वजह है उनकी पुरानी सोच जो आगे नहीं बढ़ने देती . और फिर वे बाद में सारा पैसा ही हर बैठते है कुछ लोग कहते है कि वे हार गए क्योंकि उनके पास सही मौके की तलाश में बैठ रहते है .कुछ लोगो को तो सही मौका मिलता भी है उसका फायदा नहीं उठा पाते क्योंकि वे कहेंगे कि उनके पास पैसा ही नहीं था .

अब कुछ ऐसे भी होते है जिन्हें पैसा और मौका दोनों मिले फिर भी वे कुछ हासिल नहीं कर पाए क्योंकि दरअसल वे समझ ही नहीं पाए कि ये एक opportunity है . फाइनेंसियल इंटेलिजेंस का मतलब है कि आप पैसे को लेकर कितने क्रिएटिव हो सकते है अगर आपको मौका मिलता है तो बगैर पैसे के आप क्या करेंगे और अगर पैसा है मगर मौका नहीं तो उस सूरत में आप क्या करेंगे, ये सब आपकी फाइनेंसियल इंटेलिजेंस पर निर्भर करता है .ज्यादातर लोग इस बात का एक ही solution जानते है कि खूब मेहनत करके खूब पैसा कमाया जाए .

लेकिन आपको सीखना है कि अपने लिए मौका कैसे पैदा किया जाए ना कि उसके इंतजार में बैठे रहे  सबसे खास बात अमीरों की जो है वे ये कि उन्हें पता है पैसा असल चीज नहीं है , असल चीज है इसका सही मतलब जानना ये जन लेना कि जो हमें चाहिये वो हम इससे बना सकते है . हमारा दिमाग हमारे लिए सबसे बड़ा एसेट्स होता है यही हमें सुपर रिच बना सकता है या सुपर पुअर निर्भर करता है कि हम कैसे इसका इस्तेमाल करें जो लोग सफल है उनके साथ कदम मिलाकर चलना है तो आपको ये सीखना पड़ेगा कि पैसा बड़ा करने की चाहत खुद में कैसे पैदा करें .

आपको अपने सबसे बड़े अस्सेस्ट यानि आपके दिमाग को इन्वेस्ट करने की जरुरत है . आपको फाइनेंसियल इंटेलिजेंस होना पड़ेगा . आइये इसका एक उदाहरण समझे .

1990 के दशक में एरिजोना और फोनिक्स के आर्थिक हालात बुरे चल रहे थे . वहां के लोगो को हर महीने 100 डॉलर बचाने का विचार कुछ हद तक सही भी है . मगर उस पैसे का क्या फायदा जो आप जमा करते जाते है इससे तो अच्छा है उसका कुछ हिस्सा इन्वेस्ट किया जाये जो आगे चलकर आपको फायदा दें . खैर , बात करते है एरिजोना और फोनिक्स के लोगो की जो आर्थिक तंगी झेल रहे थे ऐसे में इन्वेस्टर को ये एक बढ़िया मौका लगा लोग जो अपनी प्रॉपर्टी अपने पौने दामों में बेच रहे थे वो कई इन्वेस्टर्स ने हाथो हाथ खरीद ली .

रोबर्ट ने भी 75,000 डॉलर की कीमत वाला एक घर सिर्फ 20,000 डॉलर ममें खरीद लिया इसके बाद उन्होंने अर्टोनी के ऑफिस में एक ad दिया 75,000 डॉलर वाला घर सिर्फ 60,000 डॉलर में लेने के लिए ग्राहक टूट पड़े . रोबर्ट का फ़ोन बजना बंद ही नहीं हो रहा था ये पैसा उनको उस एसेट्स मिलने जा रहा था और उन्हें ये पैसा कमाने में केवल 5 घंटे लगे . उन्होंने जो 40,000 रुपए इन्वेंट किये वो उनके कोलोम ऑफ एसेट्स में क्रिएट हुए थे और बिना टैक्स  के उन्होंने अचानक ही मिले एक मौके का फायदा उठाकर ये पैसे क्रिएट अपने इनकम कोलोम में ऐड कर लिए .

कुछ सालों बाद ही उनके इस बिज़नस ने इतना पैसा क्रिएट किया कि उनकी कंपनी की कार , गैस, इन्सोरेंसे,क्लाइंट्स के साथ डिनर , ट्रिप और बाकी चीज सब कवर हो गई. जब तक गवर्नमेंट उन खर्चो पर टैक्स लगती , इनमें से ज्यादातर चीजें pre टैक्स एक्सपेंस में खर्च हो चुकी थी . कुछ सालों बाद जो घर 60,000 डॉलर में बिका था अब वो 110,000 डॉलर का था अभी भी उनके पास कुछ मौके थे मगर वे इतने कम थे कि उनके लिए रोबर्ट को एक वैल्युएबल एसेट्स लगाना पड़ता और अपना वक्त भी तो वे आगे बढ़ अगये .

उन्हें अब नए मौको की तलाश करनी थी अब आप एक सवाल खुद से कीजिये मेहनत करना भी बहुत मेहनत का कम है 50% टैक्स भरिये और बाकी बचाए अब वो सेविंग्स आपको 5%इंटरेस्ट देंगी और फिर उस पर भी आप और टैक्स भरे? इससे तो अच्छा होगा कि अपना पैसा और टाइम अपने सबसे powerful एसेट्स यानि अपने दिमाग पर इन्वेस्ट करें और फाइनेंसियल इंटेलिजेंट बने .

ये दुनिया कभी एक सी नहीं रहती जो आज है कल नहीं होगा कभी मंदी तो कभी तेजी का दौर चलता रहेगा . वक्त के साथ technology और बेहतर होती जाएगी आज मार्केट ऊपर है तो कल निचे होगा खासकर stock मार्केट तो हर रोज बदलता है मगर इससे आपको क्या फर्क पड़ेगा अगर आप फाइनेंसियल इंटेलिजेंट है तो क्योंकि आप तो हर हालात के लिए तैयार रहेंगे आपको जिन्दगी में बेशुमार मौके मिलेंगे जहाँ आप अपनी फाइनेंसियल इंटेलिजेंट का फायदा उठा सकते है , जरुँर्ट है तो बस उन मौको को पहचाने की .

अमूमन हम दो तरह के इन्वेस्टर देख सकते है पहले वो जो पैकेज इन्वेस्टमेंट खरीदते है और ये काफी आसन और बैगेर झंझट का कम है 

दुसरे इन्वेस्टर अपने लिए खुद ही इन्वेस्टमेंट क्रिएट करते है इनको आप प्रोफेशनल भी कह सकते है . जितना ये इन्वेस्ट करते है उससे कई गुना ज्यादा पैसा बना लेते है . अब अगर आप इस तरह के इन्वेस्टर बनना चाहते है तो आपको खासतौर पर इन तीन स्किल्स को समझने की जरुरत है 

1. ऐसी opportunity खोजिये जो बाकी न खोज सके हो :

याद रहे आपकी दिमाग वो देख सकता है जो बाकियों की आंखे भी न देख पाए 

2. पैसा बढाइये 

जब अपिसे की जरुरत पड़े मिडिल क्लास केवल बैंक जाता है मगर दुसरे टाइप के इन्वेस्टर पैसा बड़ा कर कैपिटल रेज करते है उन्हें हमेशा बैंक की जरुरत पड़ती 

3. स्मार्ट लोगो को आर्गनाइज्ड कीजिये 

इंटेलिजेंट लोग वे होते है जो अपने से ज्यादा स्मार्ट लोगो के साथ मिलकर काम करते है इसीलिए इन्वेस्टमेंट एडवाइजर को चुने मुझे मालूम है कि ये सब आपके लिए कुछ ज्यादा है मगर इसके रिवार्ड्स शानदार है . जिन्दगी में रिस्क बहुत है लेकिन उन्हें हैंडल करना सिख कर ही आप अमीर बन पायेंगे .

सबक 6 : सिखने के लिए काम करे, पैसे के लिए नहीं 

एक बार एक जौर्नालिस्ट ने रोबर्ट का इंटरव्यू लिया था रोबर्ट उसके आर्टिकल पहले भी पढ़ चुके थे और उस जर्नलिस्ट के लिखने के तरीके से बेहद प्रभवित हुए थे . इंटरव्यू जब पूरा हुआ तो महशूर लेखिका बनकर उनकी ही तरह एक दिन फेमस होना चाहती है रोबर्ट ने उससे पूछा तो क्या है जो उन्हें मशहूर होने से रोक रहा है इस सवाल के जवाब में उस जर्नलिस्ट ने कहा उनकी जॉब आगे नहीं बढ़ पा रही इस पर रोबर्ट ने सुझाव दिया कि उस जर्नलिस्ट को सेल्स क्लास join कर लेनी चाहिए जर्नलिस्ट ने बताया कि उनकी एक दोस्त उन्हें पहले ही ये ऑफर दे चुकी है मगर उन्हें ये छोटा काम लगता है वे ये भूल गई थी कि रोबर्ट खुद सेल्स स्कूल जा चुके थे .

इस बात का पॉइंट ये है कि अगर आपके पास कोई टैलेंट है जिसके दम पर आप कुछ पैसा कमाना चाहते है तो आपका टैलेंट काफी नहीं है क्योंकि उस टैलेंट को कैसे भुनाया जाये जब तक आप ये बात नहीं जानते आपका टैलेंट यूँ ही बेकार है जब तक आप उसे लोगो के सामने पेश करने का हुनर नहीं सिख जाते आप कुछ नहीं कमा सकते तो बेचने की कला सिखने में कोई शर्म की बात नहीं है किसी भी सेल्समेन को इसके लिए शर्मिंदा नहीं होना चाहिए .

एक जो सबसे बड़ा फर्क अमीर डैड और गरीब डैड के बीच था वो ये कि गरीब डैड हमेशा नौकरी की चिंता करते थे कि जॉब हमेशा सिक्योर रहे क्योंकि एक सेफ जॉब ही उनके लिए सब कुछ थी जबकि अमीर डैड हमेशा सिर्फ और सिर्फ कुछ सिखाने पर जोर देते थे अमीर बनने के लिए आपको अबहुत कुछ सीखना पड़ेगा इसके अलग पहलू को देखे तो स्कूल हमें रिवार्ड करते है किसी एक खास चीज में महारत के लिए इसका एक उदाहरण देखिये 


जब डॉक्टर मास्टर कीडीग्री लेते है उसके बाद किसी एक स्पेशल फील्ड में डोक्टरेट  करते है जैसे की पीडियाट्रिक या कुछ और मतलब एक छोटे से विषय पर उन्हें बहुत पढ़ना पड़ता है उस फील्ड में महारत के लिए और यही उनका रिवार्ड होता है .

ऐसे ही बहुत कुछ जानने के लिए जो थोड़ा बहुत आप सीखते है वो नॉलेज तभी काम करेंगे, दुनिया की अलग अलग चीजों को जानेगे , चीजे कैसे काम करती है ये सभी बाते अनुभव करेंगे तभी आपकी   नॉलेज बढ़ेगी शायद यही वजह थी की अमीर डैड छोटे रोबर्ट और माइक को अपने साथ लेकर जाते थे जब वे अपने डॉक्टर , एकाउंटेंट्स, लोयर या किसी प्रोफेशनल से मिलने जाते 

जब रोबर्ट ने मेरिन कोर्प्स ज्वाइन करने के लिए अपनी हाई पेइंगजॉब छोड़ी तो सुके गरीब मगर पढ़े लिखे पिता समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर रोबर्ट ने ऐसी शानदार नौकरी क्यों छोड़ी वे एक तरह से इस फैसले से सख्त निराश हुए रोबर्ट ने उन्हें समझाने की हर मुमकिन कोशिश की कि उनका ऐसा करना क्यों जरुरी था मगर उन्हें ये बात हजम नहीं हो रही थी रोबर्ट ने उन्हें कहा कि वे सीखना चाहते है कि खुले आसमान में कैसे उड़े उन्हें जानना था कि वर्कर्स की टीम को कैसे हैंडल किया जाये किसी भी कंपनी को अपने बलबूते पर चलाना कितना मुश्किल काम है रोबर्ट ये सब सीखना चाहते थे .

वियतनाम से लौटने के बाद रोबर्ट ने अपनी जॉब से रिजाइन कर दिया और जाकर कोर्प्स को join कर लिया उन्हें ये नौकरी किसी फायदे के लिए नहीं चाहिए थी वो इतने शर्मीले थे की किसी को कुछ बेचने के ख्याल से ही उन्हें पसीना आ जाता अपनी इसी कमी को दूर करने के लिए उन्होंने कोर्प्स के सेल्स ट्रेनिंग प्रोग्राम की शिक्षा ली इसके बाद रोबर्ट ने खुद अपनी कंपनी की शुरुआत की और अपना पहला शिपमेंट भेजा वे अगर इसमें नाकामयाब रहते तो पक्का दिवालिया हो जाते 

लेकिन उन्होंने ये रिस्क लिया और अपने अमीर डैड की सिख को यद् रखा की बेशक आप 30 की उम्र से पहले दिवालिया होने का रिस्क ले सकते हो क्योंकि इस उम्र में आपको रिकवर होने का मौका भी मिल जाता है ज्यादतर एम्प्लोयी अपने वर्कर्स को इतना तो पे करते है कि वे काम से निकले ना जाये इसलिए तो उन्हें सिर्फ अपनी सैलरी और कंपनी से मिलने वाले फायदों से ही मतलब होता है इस सोच के साथ उनके कुछ साल तो बढ़िया गुजरते है मगर ये लंबे समय तक काम नहीं करता तो क्यों ना आप वो सब कुछ अभी सीखे जो आप सीखना चाहते है इससे पहले कि अप कोई एक खास प्रोफेशन अपने लिए चुने क्योंकि अगर एक बार आपने अपना प्रोफेशन चुन लिया तो आप हमेशा के लिए उसी से बंध कर रह जायेंगे .


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