आपकी वित्तीय योजना और मिडिल क्लास की आर्थिक स्थिति को समझें
आज का पोस्ट आप सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें आपकी वित्तीय योजना और फाइनेंशियल प्लानिंग पर चर्चा की जाएगी। हम जानेंगे कि कैसे मिडिल क्लास माता-पिता अपनी आर्थिक शिक्षा के तहत अपने बच्चों को ऐसी बातें सिखाते हैं, जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी भी मिडिल क्लास में ही रह जाती है। मिडिल क्लास एक बड़ा फैंसी शब्द लगता है, क्योंकि 'गरीब' कहना थोड़ा अजीब लगता है। परंतु क्या आप जानते हैं मिडिल क्लास का सही मतलब क्या होता है? इसका अर्थ है कि आप गरीब और अमीर के बीच में हैं।
मिडिल क्लास में कौन लोग आते हैं?
आखिर मिडिल क्लास में कौन लोग आते हैं? आमतौर पर, मिडिल क्लास में वे लोग होते हैं जिनकी आय (Income) और खर्च (Expense) बराबर होते हैं, या कभी-कभी खर्च आय से भी अधिक हो जाते हैं। यह आर्थिक स्थिति उन्हें गरीब और अमीर के बीच में फंसा हुआ रखती है। यदि आप अपनी आर्थिक स्थिति सुधारना चाहते हैं और फाइनेंशियल ग्रोथ पाना चाहते हैं, तो आज का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
क्या खर्च ज्यादा होने से मिडिल क्लास इंसान गरीब कहलाता है?
आप कह सकते हैं कि अगर किसी का खर्च इनकम से ज्यादा हो जाए, तो वह व्यक्ति गरीब है। मैंने पहले ही कहा था कि "मिडिल क्लास" एक फैंसी शब्द है। अमीर और गरीब के बीच की इस स्थिति को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं।
मान लीजिए, एक व्यक्ति 1 लाख रुपये महीना कमाता है और दूसरा व्यक्ति 1.5 लाख रुपये महीना कमाता है। अब सवाल आता है, इनमें से असली अमीर कौन है? ज्यादातर लोग कहेंगे कि जो 1.5 लाख कमा रहा है, वही अमीर है। लेकिन क्या यह सही है? आर्थिक स्थिति को समझने के लिए केवल आय नहीं, बल्कि खर्चों को भी देखना चाहिए।
आय, खर्च, और असली अमीरी की परिभाषा
पहला व्यक्ति, जो 1 लाख रुपये कमाता है, वह अपने घर का खर्च सिर्फ 20,000 रुपये में चला लेता है और 80,000 रुपये बचा लेता है। वहीं दूसरा व्यक्ति, जो 1.5 लाख रुपये कमा रहा है, उसके खर्च कुछ इस तरह से हैं:
- 50,000 रुपये की घर की किस्त
- 30,000 रुपये की गाड़ी की किस्त
- 20,000 रुपये बच्चों की स्कूल फीस
बाकी बचा पैसा वह अपनी शौक-मौज में खर्च कर देता है, जिससे उसके पास अंत में कुछ भी नहीं बचता। अब बताइए, असल में अमीर कौन है?
सापेक्ष आय बनाम सकल आय: मिडिल क्लास और अमीरी की सही पहचान
यहां हम सापेक्ष आय (comparative income) के आधार पर समझेंगे कि अमीर कौन है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो 1 लाख रुपये महीना कमाता है और अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा बचा लेता है, उसे अमीर कहा जा सकता है। लेकिन आमतौर पर लोग केवल सकल आय (absolute income) को देखते हैं और मान लेते हैं कि जो व्यक्ति 5 लाख रुपये कमा रहा है, वह अमीर है, जबकि 20,000 रुपये कमाने वाला गरीब है। यह तुलना सही लगती है, क्योंकि 20,000 की तुलना में 5 लाख बड़ी राशि है। लेकिन अगर 5 लाख कमाने वाला व्यक्ति अपनी पूरी आय खर्च कर देता है, तो वह भी आर्थिक रूप से कमजोर माना जा सकता है और उसे मिडिल क्लास की श्रेणी में रखा जा सकता है।
मिडिल क्लास की सही परिभाषा क्या है?
अब सवाल आता है कि मिडिल क्लास की परिभाषा क्या है? इसे एक उदाहरण से समझते हैं: मान लीजिए, एक व्यक्ति के पास घर में साइकिल है, उनके परिवार का खर्च ठीक से चल रहा है, और उनके बच्चे एक निजी स्कूल में पढ़ते हैं। लेकिन वह व्यक्ति साइकिल ही चलाता है। तो क्या आप उसे गरीब कहेंगे या मिडिल क्लास?
क्या गाड़ी होना मिडिल क्लास, गरीब या अमीर होने का संकेत है?
अगर किसी व्यक्ति के पास गाड़ी है, तो क्या उसे मिडिल क्लास कहेंगे, गरीब, या अमीर? गाड़ी होना अमीरी का संकेत नहीं है, और इसे पाना भी व्यक्ति को मिडिल क्लास ही बनाए रख सकता है। मिडिल क्लास की कोई सटीक परिभाषा नहीं है, यह व्यक्ति की इनकम और असेट्स (संपत्तियां) पर आधारित होती है।
इनकम और असेट्स का आर्थिक स्थिति में महत्व
इनकम और असेट्स दो अलग चीजें हैं जो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को परिभाषित करती हैं। भले ही किसी व्यक्ति की मासिक इनकम ज्यादा न हो, लेकिन अगर उसके पास प्रॉपर्टीज और अन्य संपत्तियां हैं, तो वह अमीर की कैटेगरी में आ सकता है। सिर्फ मासिक आय पर ध्यान देने की बजाय, असेट्स को समझना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये व्यक्ति की आर्थिक मजबूती को दिखाती हैं।
लेकिन यहां समस्या यह है कि जैसे ही मैंने असेट्स का ज़िक्र किया, तो मिडिल क्लास में वे सभी लोग आते हैं जिनके पास कोई असेट्स नहीं होते। केवल आय होना काफी नहीं है। यदि आपके पास अपना खुद का घर है, तो यह अच्छी बात है। अगर आपके पास घर के अलावा भी कुछ प्रॉपर्टीज़ हैं, जिनसे आपको रेंटल इनकम मिलती है, तो आप मिडिल क्लास नहीं, बल्कि अमीर माने जाएंगे, क्योंकि आपके पास असेट्स हैं।
अब मान लें कि कोई कहे कि उसके पास तीन गाड़ियाँ हैं और वह अपने घर में रहता है। तो वह व्यक्ति तीन गाड़ियाँ रखता है, लेकिन गाड़ियाँ असेट्स नहीं होतीं।
यदि आपने रिच डैड पुअर डैड पुस्तक पढ़ी है, जो रॉबर्ट कियोसाकी ने लिखी है, तो उसमें एक सरल सिद्धांत बताया गया है: "एसेट्स वो चीज़ होती हैं, जो आपके लिए पैसे लाती हैं।" ऐसी कोई भी चीज़ जो आपकी जेब से पैसे लेती है, वह लायबिलिटी होती है।
तो अगर किसी के पास तीन गाड़ियाँ भी हैं, तो वह उसकी लायबिलिटी बन जाती हैं, क्योंकि उन गाड़ियों से उसे कोई पैसे नहीं मिल रहे। अब आपको खुद से यह समझना होगा कि आज आप कहां पर हैं। क्या आपकी इनकम आपके एक्सपेंस से ज्यादा है, और अगर है, तो कितनी ज्यादा है? क्योंकि अभी हम इसी पर बात करेंगे कि कितनी ज्यादा होनी चाहिए।
दूसरी चीज, आज आपके पास असेट्स कितने हैं? असेट्स को दो तरीके से समझ सकते हैं: फिजिकल एसेट्स और पेपर एसेट्स।
फिजिकल एसेट्स: ये वे चीजें होती हैं जिनके बारे में हम फिजिकल रूप से सोच सकते हैं, जैसे गोल्ड, सिल्वर, ज्वैलरी, घर, रियल एस्टेट, या शॉप, जिनसे हमें रेंट की आय होती है। ये सब आपके फिजिकल एसेट्स हैं।
पेपर एसेट्स: ये वे एसेट्स होते हैं, जिनकी वैल्यू कागज पर या डिजिटल रूप में होती है, जैसे स्टॉक्स, बॉंड्स, और म्यूचुअल फंड्स में किया गया निवेश। ये सब पेपर एसेट्स के तहत आते हैं।
दोनों प्रकार के एसेट्स आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि ये ऐसी चीजें हैं जो आपको पैसे लाकर देती हैं। जैसे, स्टॉक्स की कीमत बढ़ती है, तो एसेट्स की वैल्यूएशन भी बढ़ती है।
हालांकि, मिडिल क्लास परिवारों के पास आमतौर पर असेट्स कम होते हैं या बिल्कुल नहीं होते, और उनके पास एक्सपेंस और लायबिलिटी ज्यादा होती है।
अब यहां से समस्या शुरू होती है, और यहां एक सबसे महत्वपूर्ण शब्द है, जो आपने शायद इस पोस्ट में मिस किया होगा: 'ट्रैप'। ट्रैप वह चीज होती है, एक ऐसा जाल, एक ऐसा जंजाल, या एक ऐसा पिंजरा, जिसमें लोग फंस जाते हैं और बाहर नहीं निकल पाते। जैसे एक चूहा पिंजरे में फंस जाता है, वह बाहर नहीं निकल पाता। मैं आपको सही चीजें बता रहा हूं, बल्कि लोग रैट रेस (चूहा दौड़) में फंसे हुए हैं और वे मिडिल क्लास ट्रैप से बाहर नहीं निकल पाएंगे, अगर वे अभी जो आपको बता रहा हूं, उसे समझते हुए इस स्थिति से बाहर नहीं निकलते।
आप मुझसे सुन रहे हैं, और यह अच्छी बात है, लेकिन कहीं न कहीं इस स्टेप से बाहर निकलने के लिए वही करना पड़ेगा, जो हम अभी फाइनेंशियल प्लानिंग में बात करेंगे।
आशा है कि अब तक आपको यह क्लैरिटी मिलनी शुरू हो गई होगी कि समस्या कहां से शुरू होती है। समस्या दो चीजों से आती है:
- इनकम कम है, या फिर
- असेट्स कम हैं।
दूसरी समस्या यह है कि:
- एक्सपेंस ज्यादा हैं, या फिर
- लायबिलिटी ज्यादा हैं।
अब हमें क्या करना पड़ेगा? इन दोनों पहलुओं को समझते हुए, हमें इनकम और असेट्स को बढ़ाना पड़ेगा, चाहे जैसे भी करके। और दूसरी ओर, एक्सपेंस और लायबिलिटी को कम करना पड़ेगा।
अगर आज की तारीख में बहुत सारे लोग अपने एक्सपेंस को कट डाउन नहीं करना चाहते, तो इनकम और असेट्स को बढ़ाना ही पड़ेगा।
और वह कैसे बढ़ेगी, आइए समझते हैं। ठीक है, अब हम फाइनेंशियल प्लानिंग पर बात कर रहे हैं। कुछ लोग यह सोचते हैं कि वे रातों-रात अमीर बन जाएंगे, लेकिन यह नहीं हो सकता। एक रात में कुछ भी बदलने वाला नहीं है। सबसे बड़ी बात, मिडिल क्लास परिवार अक्सर बहुत ज्यादा मांगता है और वह बहुत अवास्तविक (unrealistic) उम्मीदें रखते हैं। अवास्तविक उम्मीदें क्या हैं? कि भगवान ऐसा कर दे, यह दे दे, वह दे दे। आपको रातों-रात खोया हुआ खजाना नहीं मिलेगा।
आपको ऊपर वाले से तब मिलेगा, जब आप खुद कुछ एफर्ट्स करेंगे। देखिए, आपकी फाइनेंस के लिए आप ही जिम्मेदार हैं। आप ऊपर वाले को दोष नहीं दे सकते। सबसे पहले तो ब्लेम गेम करना छोड़ दें। मिडिल क्लास परिवारों में यह सबसे बड़ी समस्या होती है—वे हर समय दूसरों को दोष देते रहते हैं। और यह पूरी समस्या वहीं से शुरू होती है। "मैं यह नहीं कर पाया, क्योंकि मेरे दोस्त ने मेरे साथ ऐसा किया", "मेरे परिवार ने ऐसा किया", "मेरे पिताजी ने मुझे कुछ दिया ही नहीं", "मेरे भाई ने मेरे साथ ऐसा किया", "मेरी बहन ने ऐसा किया"। ये सभी बातें ब्लेम गेम का हिस्सा हैं, और आप जब यह सुनते हो, तो आपको समझ में आ जाता है कि यह आपकी लाइफ में केवल रुकावट डालने का काम करता है।
आपको खुद को जिम्मेदार ठहराना पड़ेगा, क्योंकि अगर आप यही कहते रहेंगे, तो क्या बदलेगा? कुछ भी नहीं। इसलिए, आपको खुद से कहना होगा कि "मेरे पास जितना था, उतना किया। अब मुझे अपनी लाइफ को बदलने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे।"
तो, ब्लेम गेम को छोड़िए, और अब हम आगे की फाइनेंशियल प्लानिंग पर चर्चा करेंगे।
अगर आपकी इनकम 50,000 है। अब problem 50 हजार की income में कुछ भी नहीं है। 50 हजार की इनकम एक अच्छी इनकम भी हो सकती है या इनकम बहुत कम भी हो सकती है। ये निर्भर करता है सामने वाले की expense किया है। अगर आज आपको मिडिल class ट्रैप से बाहर निकलना है तो कुछ बातें समझना पड़ेगा। आज आपकी इनकम कुछ भी हो आपके expenses जो है वह आपकी इनकम का 80% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर आपकी इनकम 1 लाख रुपया है तो मैं 80,000 से ऊपर खर्च नहीं कर सकता।
अगर आपकी इनकम 50,000 है, तो आप 40,000 से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते। इसे महीने में आप 40,000 रुपये से ज्यादा खर्च करने का सोच भी नहीं सकते। अब अगर मैं आपको कहूं कि आपको एक करोड़ की गाड़ी लेनी है, तो आप कहेंगे कि मैं तो ले नहीं सकता। ठीक वैसे ही, जैसे आपने तुरंत कह दिया, "मैं नहीं ले सकता", वैसे ही आपको यह भी समझना होगा कि यह नहीं हो सकता, not possible।
जब तक आपकी इनकम नहीं बढ़ेगी, आप अपनी खर्चों को बढ़ा ही नहीं सकते। लेकिन ऐसा नहीं है कि किसी की स्थिति ऐसी नहीं हो सकती। आज के समय में एक आदमी अपना घर चला रहा है, उसके दो बच्चे और एक पत्नी हैं। अब मान लीजिए, बच्चे ने जिद पकड़ ली कि उसे 25,000 रुपये का फोन चाहिए। उस आदमी की इनकम 50,000 रुपये है, और उसने 40,000 रुपये तक का खर्चा तय कर रखा था। अब जब बच्चे ने जिद की और उसने 20,000 रुपये का फोन ले भी लिया, तो उसका खर्चा बढ़कर 60,000 रुपये हो गया। अब 10,000 रुपये कहां से आएंगे? क्या वह पहले की बचत से आएंगे? अगर आपके पास वह 10,000 रुपये अतिरिक्त नहीं थे, तो अब यह ट्रैप शुरू हो जाता है।
यह ट्रैप तब शुरू होता है जब आपके खर्चे आपकी इनकम के 100% से ज्यादा हो जाते हैं। अब आपके पास दो विकल्प हैं: या तो अपनी बचत को खर्च कर दिया, जो आपने पहले की थी, लेकिन अधिकतर मिडिल क्लास फैमिली के पास बचत होती ही नहीं, और अगर होती भी है, तो बहुत कम। तो यहां से यह छोटी सी समस्या उत्पन्न होती है। मान लीजिए, आपने 10,000 रुपये अतिरिक्त खर्च किए और फिर मोबाइल फोन की दुकान पर गए, तो दुकानदार कहेगा, 'सर, EMI कर दूंगा, इंस्टॉलमेंट की रकम ₹1000-₹1500 होगी।'
अब आप सोचेंगे, 'मैं तो 50,000 रुपये कमा रहा हूं, ₹1500 की EMI से क्या फर्क पड़ता है?' लेकिन आप उस समय बाकी खर्चों का सही से हिसाब नहीं करते। ऐसे ही, आपके ऊपर खर्चे लगातार बढ़ते जाते हैं। यह परेशानी तब शुरू होती है जब मिडिल क्लास परिवारों में कई छोटे खर्चे एक साथ जुड़ जाते हैं।
मिडिल क्लास फैमिलीज में ऐसे प्रमुख खर्च होते हैं, जैसे कि शादी। शादी के लिए अक्सर लोग इतने पैसे खर्च करते हैं, जिनके पास होता नहीं है। वे शान दिखाने के लिए ज्यादा खर्चा कर देते हैं, लेकिन बाद में उन्हें लोन लेना पड़ता है। शादी के लिए लोग कभी 2 लाख, कभी 5 लाख, कभी 10 लाख और कभी 50 लाख का लोन ले लेते हैं। और फिर उस लोन को चुकता करने में उन्हें सालों साल लग जाते हैं।
आजकल मिडिल क्लास परिवारों में यह ट्रेंड बन गया है कि शादी में अत्यधिक खर्चा किया जाता है और लोन लिया जाता है। पहले के जमाने में लोग बहुत कम खर्च करते थे। गांवों में रहते थे और सीमित खर्च करते थे, कोई शो वाली जिंदगी नहीं होती थी। वे अपनी संपत्ति और खेतों को बच्चों के लिए छोड़ जाते थे। अब, मिडिल क्लास परिवारों में यह ट्रेंड बन गया है कि लोग लोन लेकर जाते हैं, जिससे उनकी पूरी जिंदगी उनके बच्चों को लोन चुकता करने में ही निकल जाती है।
अगर आपके घर में भी ऐसा हुआ है, तो कृपया कमेंट करके बताएं।
मिडिल क्लास परिवार के वित्तीय संघर्ष और समाधान: एक रियलिटी चेक
क्या आप भी महसूस करते हैं कि जो मैं कह रहा हूं, वह रियलिटी नहीं हो सकता? लेकिन जो मैं आज साझा करने जा रहा हूं, वह पूरी तरह से मेरे जीवन का अनुभव है। मैंने अपनी आंखों से उन परिस्थितियों को देखा है, जिनसे हर मिडिल क्लास परिवार गुजरता है। घर में भाई-भाई के बीच झगड़े होते हैं, पत्नी अपने पति से पैसे की मांग करती है, और बच्चे अपनी जिद के साथ कहते हैं, "2 साल से मांग रहा हूँ मुझे फोन चाहिए" या "मुझे साइकिल चाहिए," लेकिन वह पूरी नहीं हो पाती। यह सब मैंने देखा है और अब मैं आपको उसी अनुभव के आधार पर गाइड कर रहा हूं।
इसलिए यह पोस्ट बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें आपको हो सकता है कि कोई खास मनोरंजन ना मिले, लेकिन यह आपके फाइनेंशियल प्लानिंग से जुड़ी जानकारी है, जो आपके लिए कारगर साबित हो सकती है।
बच्चों की शिक्षा और लोन की वास्तविकता
हर मिडिल क्लास परिवार का सपना होता है कि उनका बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त करे, क्योंकि शिक्षा ही सफलता की कुंजी मानी जाती है। और इसके लिए अक्सर लोन लिया जाता है। लेकिन बैंक से लोन न मिलने पर क्या होता है? लोग कमेटी लगाते हैं या दूसरों से ब्याज पर पैसे लेते हैं। यह सब एक आम मिडिल क्लास परिवार की सच्चाई है।
कितने लोग बच्चों की पढ़ाई के लिए किस्ते डालते हैं या 1% या 2% ब्याज दर पर पैसे उधार लेते हैं। मिडिल क्लास में ब्याज दर 5% से लेकर 10% तक होती है। क्या आप जानते हैं कि अगर आप 10% मासिक ब्याज पर पैसे लेते हैं, तो साल के अंत में आपको 120% ब्याज देना होगा? इसका मतलब है कि एक साल में आपका पैसा दोगुना हो जाएगा।
स्टॉक मार्केट में निवेश बनाम ब्याज पर लोन
अब अगर हम स्टॉक मार्केट में निवेश की बात करें तो, अगर आपको 12%, 13%, 14% या 15% का सालाना रिटर्न मिलता है, तो आपकी वेल्थ कंपाउंड हो सकती है। वहीं, अगर आप 10% ब्याज पर लोन लेते हैं, तो आपको उस पर भारी ब्याज चुकाना होगा। यह आपके लिए एक बड़ा वित्तीय बोझ बन सकता है।
मेडिकल इमरजेंसी और फाइनेंशियल प्लानिंग
मेडिकल इमरजेंसी जैसे घटनाएं मिडिल क्लास परिवारों के लिए एक बड़ा डिजास्टर साबित हो सकती हैं। अधिकांश परिवारों के पास पर्याप्त सेविंग्स नहीं होतीं और हेल्थ इंश्योरेंस भी बहुत कम होता है। जब अचानक किसी के साथ एक्सीडेंट हो जाता है, तो डॉक्टर कहते हैं कि 2 लाख या 5 लाख रुपये चाहिए। ऐसे समय में पैसा कहां से लाएंगे?
अगर आपके पास मेडिकल इंश्योरेंस नहीं है, तो आपको किसी भी ब्याज दर पर पैसे लेने पड़ सकते हैं, और इससे आपकी पूरी जिंदगी प्रभावित हो सकती है। यह हम पहले से समझते नहीं हैं, और बाद में हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
अगर आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं, तो मैं जानता हूं कि आप भी इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं। किसी के पास लोन होगा, किसी के पास EMI होगी, और किसी के पास एक असहनीय खर्चा होगा जिसे वह उठाने के लिए मजबूर हैं। यह वह स्थिति है जो हर मिडिल क्लास परिवार का हिस्सा है।
अब, इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको यह समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि इन समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है और कैसे आप अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बना सकते हैं।
समझें कि आपके फाइनेंशियल फैसले आज आपके भविष्य को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
वित्तीय समस्याओं का समाधान: मिडिल क्लास परिवार के लिए जरूरी कदम
कभी आपने सोचा है कि जब आपके खर्च बढ़ गए थे और आपने किसी भी तरीके से लोन या ईएमआई पर पैसा लिया, तो अब आपको उसकी रीपेमेंट करनी होती है, लेकिन यह हो नहीं पाती क्योंकि हम अपने खर्चों को नियंत्रित नहीं कर पाते। अगर आपने बच्चों को एक बार आदत डाल दी कि हर साल दो बार मैं तेरे को नए कपड़े या जूते दिलाऊंगा , तो फिर हर साल आपको यह खर्च करना पड़ेगा। अगर आप पूरा कर सकते हो या नहीं कर सकते और इनकम बढ़ाने पर कोई भी ध्यान नहीं देता। तो अब बात करते हैं Solution क्या है?
अब बात आती है कि इस स्थिति से बाहर कैसे निकला जाए? यहां एक सरल तरीका है:
अपने खर्चों में कटौती करें: अगर आपकी मासिक आय ₹50,000 है और आपको ₹10,000 की ईएमआई या लोन रीपेमेंट करनी है, तो सबसे पहले आपको अपने खर्चों को कम करना होगा। कम से कम 50% खर्चों को तुरंत कट करें और उस पैसे को लोन रीपेमेंट में लगाएं।
जल्दी से जल्दी लोन चुकाएं: अगर आप ₹25,000 का लोन चुकाते हैं तो आपकी ईएमआई जल्दी समाप्त हो जाएगी, और आपको कम ब्याज देना होगा। इसका मतलब है कि जितनी जल्दी आप लोन चुकाएंगे, उतना कम ब्याज लगेगा और आप जल्दी कर्ज से बाहर आ जाएंगे।
आदत में बदलाव करें: मानसिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपनी आदतों में बदलाव लाएं। आपको यह आदत डालनी होगी कि आप जो भी कमाएं, उसका 50% हिस्सा बचत और लोन चुकाने में लगाएं। वित्तीय स्वतंत्रता पाने के लिए सबसे पहले आपको मानसिक स्वतंत्रता हासिल करनी होगी। और यह तभी संभव है जब आप अपनी आदतों को बदलें और अपने खर्चों को नियंत्रित करें।
लाइफस्टाइल को मिनिमलिस्ट बनाएं: आपको अपनी जीवनशैली को साधारण रखना होगा। अगर आपकी आय ₹50,000 है, तो ₹25,000 को बचत में डालें और सिर्फ ₹25,000 में घर चलाएं। अगर आपकी आय कम है, तो आपको अपनी आय बढ़ाने पर भी ध्यान देना होगा, क्योंकि ₹10,000-₹15,000 से घर चलाना संभव नहीं है।
आय बढ़ाने के उपाय: अगर आप सेल्फ-एंप्लॉयड हैं और सोचते हैं कि आप बिजनेस कर रहे हैं, तो असल में आप सिर्फ अपनी मेहनत से ही कमाते हैं। बिजनेस में असल फर्क तब आता है जब लोग आपके लिए काम करते हैं। आपको बिजनेस और सेल्फ-एंप्लॉयड के बीच का फर्क समझना होगा
बिजनेस और स्किल के बारे में विचार
मैं एक व्यक्ति को जानता हूं, जो एक समय में टीवी की ट्रॉली बनाने का व्यवसाय करता था। उस समय एलईडी टेलीविजन नहीं होते थे और बड़े-बड़े टेलीविजन हुआ करते थे। घरों में सभी के पास वुडन ट्रॉली होती थी, जिसमें टीवी फिट होता था और ऊपर-नीचे सामान रखने की जगह होती थी। यह व्यक्ति सेल्फ-एंप्लॉयड था और अपने घर में ट्रॉली बनाता था। उस समय उनके व्यवसाय ने अच्छा मुनाफा कमाया क्योंकि वह खुद काम करते थे और कुछ मजदूर भी रखते थे।
लेकिन उन्होंने अपने व्यवसाय को अपडेट नहीं किया। टीवी धीरे-धीरे छोटे होने लगे और एक समय ऐसा आया जब दीवार पर चिपकने वाले टीवी आ गए, पर वह फिर भी वही टीवी की ट्रॉली बनाते रहे। इस वजह से उनका व्यवसाय गिर गया और बर्बाद हो गया। अब वह लोन में डूबे हुए हैं और उनके खर्च पूरे नहीं हो रहे। परिवार में भी समस्याएं आ रही हैं क्योंकि उन्होंने कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।
यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मिडिल क्लास परिवार आमतौर पर बदलाव के लिए प्रतिरोधी होते हैं। अगर आपका एक व्यापार चल रहा है, तो यह जरूरी है कि आप बदलाव के लिए तैयार रहें। किसी भी बड़े बिजनेसमैन को देखिए, वह हमेशा नए अवसरों के बारे में सोचता है और अगर उसे लगता है कि वर्तमान व्यवसाय का स्कोप कम हो रहा है, तो वह तुरंत बदलाव करता है।
अब बात करते हैं स्किल की। मान लीजिए, आप एक जॉब करते हैं और आपकी आय ₹10,000-₹15,000 प्रति माह है। इसका मतलब यह है कि आपकी स्किल्स अभी उस लेवल पर नहीं हैं, जिससे आप अच्छा पैसा कमा सकें। उच्च-स्तरीय स्किल्स वाले लोग ही उच्च आय प्राप्त करते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति ओपन हार्ट सर्जरी करता है, तो उसकी फीस बहुत अधिक होती है क्योंकि यह एक उच्च कौशल है, जिसे हर कोई नहीं कर सकता।
वहीं, अगर आप डाटा एंट्री या छोटे-मोटे काम करते हैं, जहां ज्यादा विशेषज्ञता की जरूरत नहीं होती, तो आपकी आय सीमित रहेगी। इसके अलावा, जिन स्किल्स को बहुत से लोग कर सकते हैं, उनका पे-स्केल भी सीमित होता है। जैसे, गाड़ी चलाने या घर के काम करने के स्किल्स बहुत से लोगों के पास होते हैं, तो इससे बड़ी आय की उम्मीद नहीं की जा सकती।
इसलिए, आपको ऐसी स्किल्स सीखने की जरूरत है, जो ज्यादा मांग में हों और जिनसे आप अधिक पैसे कमा सकें। अगर आप यह सोचते हैं कि मैं असिस्टेंट हूं और मुझे एक ऐसी स्किल सीखनी चाहिए जिससे मैं ज्यादा पैसे कमा सकूं, तो यह सही दिशा होगी।
अब, बात करते हैं मिडिल क्लास परिवार की। वे अपने बच्चों की शिक्षा पर कभी कंप्रोमाइज नहीं करते। एक व्यक्ति कहता है कि "चाहे मुझे अपना खून बेचकर लाना पड़े, लेकिन मैं अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाऊंगा, ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके।" क्योंकि वह जानता है कि एक अच्छी शिक्षा से बच्चों को एक अच्छी नौकरी मिलेगी, और एक अच्छी नौकरी मिलने से जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
मिडिल क्लास और बच्चों की शिक्षा
एक मिडिल क्लास व्यक्ति अपने बच्चों पर पूरा विश्वास करता है कि वे उसकी जिंदगी में बहुत कुछ करेंगे, लेकिन जो बच्चा है, वह ऐसा नहीं मानता। वह सोचता है कि "मेरे लिए उन्होंने कुछ नहीं किया, न तो मुझे अच्छी गाड़ी दिलाई, न ही बाइक," जबकि पिता को यह सब पता होता है कि उसने कितना कुछ किया है। लेकिन बच्चा ऐसा नहीं मानता और पिता सोचता है कि "वह मेरे लिए बहुत कुछ करेगा," जबकि वास्तविकता कुछ और होती है। मिडिल क्लास परिवार में अक्सर पैसे की कमी होती है, और अधिकांश चीजें बच्चों पर खर्च कर दी जाती हैं, लेकिन फिर भी परिवार में चैन नहीं होता।
आजकल, मिडिल क्लास के परिवारों को यह समझना जरूरी है कि केवल पारंपरिक शिक्षा पर ध्यान देना काफी नहीं है। आपको बच्चों को बिजनेसमैन की तरह सोचना सिखाना चाहिए। एक बिजनेसमैन हमेशा रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI) के बारे में सोचता है। मान लीजिए, मैंने किसी को ₹10 लाख दिए और उससे मुझे काम करवाना है, तो मैं सोचूंगा कि इस ₹10 लाख से मुझे कितना फायदा होगा, क्या ROI होगा।
लेकिन जब हम बच्चों को शिक्षा देते हैं, तो हम ROI के बारे में नहीं सोचते। हम बस यह सोचते हैं कि उन्होंने 12वीं तक अच्छे स्कूल से पढ़ाई की, और हर महीने ₹10,000-₹15,000 की फीस दी। फिर बच्चा कॉलेज में जाता है, और वहां पहले डोनेशन मांग लिया जाता है क्योंकि मार्क्स अच्छे नहीं आए। फिर भी, डोनेशन दे कर एडमिशन मिल जाता है, लेकिन आपको पता चलता है कि अब फीस और भी ज्यादा है।
उदाहरण के लिए, आपने बच्चे को अच्छे कॉलेज में B.A. करने भेजा, जिसमें ₹10 लाख खर्च हुए। इसके बाद आपने उसे MBA करवाने का सोचा, और MBA में भी ₹10 लाख खर्च हुए। तो इस तरह, 3 साल में ₹20 लाख सिर्फ शिक्षा पर खर्च हो गए। फिर मान लीजिए, उसके बाद बच्चे को ₹25,000 की सैलरी मिलती है। तो ₹25,000 प्रति माह के हिसाब से, साल में ₹3 लाख की आय होती है। अब आप सोचेंगे, "अगर यह सिलसिला चलता रहा, तो 10 साल में ₹30 लाख का कवर हो जाएगा।"
लेकिन यह कैलकुलेशन गलत हो सकती है, क्योंकि रियलिटी में बहुत कुछ बदलता रहता है। अगले उदाहरण में मैं आपको और बेहतर समझाऊंगा।
आप क्या करेंगे, ₹20 लाख मत लगाइए। यह ₹20 लाख उठाकर बैंक में जाकर FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) करवा दीजिए। बैंक में FD पर आम तौर पर आपको 7-8% ब्याज मिलेगा, और अगर आप सीनियर सिटीजन हैं, तो थोड़ा ज्यादा, जैसे 8% का ब्याज मिल सकता है। आपको सालाना ब्याज मिलेगा।
हमने आपको ऐसे प्लेटफार्म के बारे में बताया है, जहां आपको 12% तक ब्याज मिल सकता है। 12% की जगह, कुछ प्लेटफार्म पर 13% तक का ब्याज मिल सकता है। आप खुद जाकर चेक कर सकते हैं।
कुछ लोग P2P लेंडिंग कर सकते हैं, जिसमें 10% ब्याज मिल सकता है। अगर हम 10% ब्याज मानते हैं, तो ₹20 लाख पर आपको हर साल ₹2,00,000 का ब्याज मिलेगा, बिना कुछ किए।
और बच्चा कब जाकर 25000 की नौकरी करेगा कब कमायेगा ये भी नहीं पता तो क्या पढ़ाना गलत है कई सारे लोग बोलेंगे। कुछ लोग बोलेंगे 10 साल में उसकी सैलरी भी तो बढ़ेगी। मैं मानता हूँ सैलरी बढ़ेगी लेकिन वह 25000 कमाने लगता है तब वह अपने ऊपर खर्च करेगा अगर उसकी 25000 की तनख्वाह लग भी गई तो वह क्या देखेगा मैं आपको इसका Example दे देता हूं कहीं पर भी ऑफिस जा रहा होगा एग्जांपल ₹5000 ट्रांसपोर्टेशन के खर्च उसके बाद वह एक EMI कराएगा एक अच्छे फोन की जैसे कि अब आईफोन वगैरा की उसमें ₹5000 उसमें वह दे रहा है ईएमआई के फिर वहां पर कोई उसे लड़की भी पसंद आएगी उसमें भी खर्च होगा
आज के समय में खर्च और शिक्षा की वास्तविकता
आज के समय में लोग सोशल इंटरैक्शंस के लिए भी पैसे खर्च करते हैं, और ऐसे में बचत करना मुश्किल हो जाता है। अगर वे 10-15 हजार रुपये भी बचा लें, तो इसे बड़ी बात माना जाता है। लेकिन क्या आपको लगता है कि ये पैसे भविष्य में आपको वापस मिलेंगे? हकीकत यह है कि ROI (रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट) के बारे में सोचने की आदत डालनी चाहिए। बच्चे की शिक्षा पर 20 लाख रुपये खर्च करना भी बड़ा निवेश है। अगर यह खर्च और ज्यादा है, तो इसे कैलकुलेट करना जरूरी हो जाता है।
आपकी आंखें खोलने वाली सच्चाई
मैं आपको एक शॉकिंग बात बताता हूँ, जिससे आपकी आँखें खुल जाएंगी, और यह आँखें खोलना बहुत जरूरी है। मान लीजिए, आपको तुरंत ₹10 लाख का निवेश करना है। अब देखें, अगर आपने ₹10 लाख की एकमुश्त निवेश कर दी और उस पर सालाना 10% का रिटर्न मिल रहा है, तो 10 साल में आपके ₹10 लाख लगभग ₹25 लाख बन जाएंगे, यानी लगभग ₹26 लाख। मतलब, आपके ₹10 लाख 10 साल में 2.5 गुना बढ़ रहे हैं।
अब सोचिए, जितना पैसा आप बच्चों की पढ़ाई पर लगा रहे हैं, वह कितना बढ़ रहा है? इसे चेक करना बहुत जरूरी है। अगर आप इस रकम को कहीं और लगाते हैं, तो यह और भी अधिक बढ़ सकता है। लेकिन हम सोचते हैं कि बच्चों को पढ़ाना तो है ही।
आपको अपने बच्चों को समझाना पड़ेगा कि क्या वह वास्तव में पढ़ाई में रुचि रखते हैं। यदि आपका बच्चा B.A., MBA, B.Tech, या कोई अन्य कोर्स कर रहा है, और इसमें आपका पैसा लग रहा है, तो यह देखना आवश्यक है कि क्या इसमें उनका सच में इंटरेस्ट है। कई बार हम बच्चों को सिर्फ समाज में प्रतिष्ठा के लिए पढ़ाई करवा देते हैं—कि किसी लड़की के लिए रिश्ता आएगा, तो उसने B.A., MBA, B.Tech, या M.Tech किया होगा। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या आपका बच्चा सच में उस विषय में रुचि रखता है? अगर रुचि होगी, तो वह किसी भी परिस्थिति में आगे बढ़ जाएगा। लेकिन अगर रुचि नहीं है, तो आपका पैसा वेस्ट हो सकता है।
आज के समय में भारत सबसे अधिक इंजीनियर तैयार कर रहा है, लेकिन उनमें से कई को इंजीनियरिंग करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। सिविल इंजीनियर तक को काम नहीं मिल रहा है, तो सोचिए समस्या कहाँ है? असल में, उनके पास सही स्किल्स की कमी है। सवाल यह है कि क्या कॉलेज उन्हें ऐसी स्किल्स दे पा रहे हैं, जिससे वे अच्छी कमाई कर सकें? आज के समय में स्किल्स पर ध्यान देना जरूरी है। अब ध्यान से सुनें, आज आपको अपने बच्चों की पढ़ाई और उसमें होने वाले खर्च का मूल्यांकन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आप अपने बच्चे को B.A. या MBA करवा रहे हैं और इस पर 20 लाख रुपये खर्च कर रहे हैं, तो सोचिए कि क्या यह सही निवेश है। बाद में यदि उन्हें 25,000 से 30,000 रुपये की ही नौकरी मिलती है, तो क्या यह खर्च व्यर्थ नहीं होगा?
मैं आपकी बात मानता हूँ, सर, लेकिन आज के हिसाब से बच्चों के करियर को लेकर सोच बदलनी होगी। उदाहरण के लिए, यदि आपके बच्चे का एनीमेशन में इंटरेस्ट है, तो उसे 3D एनीमेशन का कोर्स करने दें। वह खुद भी यह कह सकता है कि "पापा, मुझे 3D एनीमेशन सीखना है।" इस एक साल के डिप्लोमा के बाद वह 25,000 से 30,000 रुपये की नौकरी आसानी से पा सकता है। और सबसे अच्छी बात यह है कि उसमें उसका इंटरेस्ट भी रहेगा। लेकिन, मिडिल क्लास परिवारों में अक्सर यही देखा जाता है कि बच्चों से B.Tech, MBA या PhD जैसे पारंपरिक कोर्स करने की अपेक्षा की जाती है, जबकि उनका असली इंटरेस्ट कुछ और हो सकता है। अगर वही बच्चा 3D एनीमेशन सीख लेता, तो उसे तुरंत नौकरी मिल जाती। इसी तरह, अगर उसे डिजिटल मार्केटिंग का सही प्रशिक्षण दिया जाए और वह किसी अच्छी कंपनी में ऑप्टिमाइज़ेशन या कंटेंट राइटिंग का काम करता है, तो वह लाखों रुपये तक कमा सकता है। इसलिए, ऐसी स्किल्स पर ध्यान दें जो वास्तव में उसे अच्छी कमाई करने में मदद करें।
आजकल लोग कई तरह के कोर्स कर रहे हैं, जिनमें उनका कोई इंटरेस्ट नहीं है, और उस पर काफी पैसे भी खर्च कर रहे हैं। आपके माता-पिता भी इस शिक्षा में पैसा लगा रहे हैं, चाहे वह कहीं से भी लाना पड़े। मिडिल क्लास परिवार पढ़ाई में समझौता नहीं करते, लेकिन यदि आपके पढ़ाई में इंटरेस्ट नहीं है, तो इसका नुकसान अंत में आपको और आपके परिवार को भुगतना पड़ेगा। अगर आपका इंटरेस्ट एनीमेशन में है, तो एक साल का एनीमेशन कोर्स लगभग 50,000 से 1 लाख रुपये में हो सकता है, और इसके बाद आप 25,000 रुपये की नौकरी पा सकते हैं। ऐसी स्किल पर फोकस करना बेहतर है, जो आपको जल्दी अच्छी कमाई करने का मौका दे। मैंने एक वास्तविक उदाहरण देखा है—एक व्यक्ति ने एनीमेशन का कोर्स किया और नौकरी शुरू की। काम सीखते-सीखते वह टीम लीडर बन गया और अब वह 1-1.5 लाख रुपये प्रति माह कमा रहा है। उसे इंसेंटिव और ओवरटाइम का भी भुगतान मिलता है। इस तरह, एक स्किल सीखने के बाद उसने अपनी स्थिति मजबूत कर ली और अब उसने आगे निवेश के लिए पैसे भी जोड़ने शुरू कर दिए हैं।
पैसा लगाएं। अब यहां पर आपको स्क्रीन पर निफ्टी 50 का इंडेक्स फंड दिखाई देगा। जब आप निफ्टी 50 के इंडेक्स फंड में पैसा लगाते हैं, तो आपका पैसा भारत की टॉप 50 कंपनियों में निवेशित होगा, और साथ ही भारत की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी, जिससे आपका पैसा बढ़ेगा। दूसरा सुझाव है कि आप नैस्डैक 100 की टॉप 100 कंपनियों में भी पैसा लगा सकते हैं। इसके लिए आप म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश कर सकते हैं, जैसे कोटक का म्यूचुअल फंड। आप कोटक 100 का म्यूचुअल फंड सर्च करके उसमें निवेश कर सकते हैं। इंडेक्स फंड्स होते हैं, और इनका मतलब है कि यदि एक स्टॉक गिर भी जाए, तो भी पूरे मार्केट का प्रदर्शन आपके निवेश को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, क्योंकि यह विविधता में निवेश करते हैं। मार्केट बहुत बड़ा है और इंडेक्स इसलिए बनाए गए हैं ताकि आपका पैसा सुरक्षित रहे और बढ़े। अगर आप लगातार पैसा लगाते हैं, तो क्या होता है, यह मैं आपको स्क्रीन पर दिखाता हूं।
सो, मैं आपको एक सिंपल कैलकुलेशन दिखाता हूं। यह उदाहरण के लिए है कि आप अमीर कैसे बन सकते हैं। मान लीजिए आप ₹50,000 कमा रहे थे, और आपने ₹50,000 का 50% बचाया। पहले आपने अपना लोन खत्म किया, अब आपके पास ₹25,000 बचने लगे। मैंने आपको बताया कि आप ₹50,000 से और ज्यादा कैसे कमा सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी स्किल्स को अपग्रेड करना पड़ेगा। आपकी जितनी स्किल्स बेहतर होंगी, उतना ज्यादा पैसा आप कमा पाएंगे। अब हम SIP कैलकुलेटर पर आ गए हैं। मैं आपको दिखाता हूं, अगर आप ₹25,000 बचाना शुरू करते हैं, तो यह आपके लिए एक बड़ा बदलाव कर सकता है। आपको शायद यकीन न हो, लेकिन देखिए। मान लीजिए ₹25,000 को अगर आप इंडेक्स फंड में निवेश करते हैं, तो आपको मार्केट से करीब 14% का रिटर्न मिलता है। पिछले कुछ सालों में इंडेक्स फंड ने 15% तक रिटर्न दिया है, लेकिन हम 14% का रिटर्न लेते हैं। आपके निवेश का टाइम पीरियड जो भी हो, अगर आप मान लीजिए 25 साल के लिए निवेश कर रहे हैं, तो 25 साल बाद यह एक बड़ा बदलाव ला सकता है। तो सोचिए, ₹25,000 प्रति माह अगर आपने 25 साल तक जोड़ लिए, तो क्या होगा? कैलकुलेट करें और जादू देखें! यह पैसा धीरे-धीरे बढ़ेगा और 25 साल बाद ₹6.8 करोड़ बन जाएगा। आपने ₹75 लाख जोड़े होंगे, और समय के साथ यह बढ़ते हुए ₹6.8 करोड़ तक पहुंच जाएगा।
अगर आप यहां पर इन्फ्लेशन को एडजस्ट भी कर लेते हैं, तो इसका मतलब यह है कि 25 साल बाद ₹6.8 करोड़ की वैल्यू उस समय के हिसाब से होगी, लेकिन आज के हिसाब से यह ₹2.4 करोड़ के बराबर होगा। इसका मतलब यह है कि 25 साल के बाद ₹6.8 करोड़ तो होगा, लेकिन आज के समय में उसकी वैल्यू ₹2.4 करोड़ होगी। और अगर आप इन्फ्लेशन को ध्यान में रखते हुए हिसाब करें, तो ₹2.4 करोड़ की वैल्यू आज के हिसाब से काफी अलग होगी। अब, अगर हम 30 साल के लिए यह प्लान करें, तो 5 साल के बाद ₹6.8 करोड़ का आंकड़ा ₹13.9 करोड़ तक पहुंच जाएगा। यानी अगले 5 साल में ही आपका पैसा डबल हो जाएगा। यह कंपाउंडिंग का जादू है, जिसे मिडिल क्लास परिवार कभी पूरी तरह से समझ नहीं पाता। अब, अगर हम 35 साल के बाद की बात करें, तो आपके पास लगभग ₹28 करोड़ होंगे। और अगर आप इन्फ्लेशन को भी एडजस्ट करते हैं, तो ₹28 करोड़ की वैल्यू आज के हिसाब से ₹5.86 करोड़ के बराबर होगी। इसलिए, अगर आज आपके पास ₹6 करोड़ होते, तो आपकी लाइफ किस तरह चलती, यह उस समय की वैल्यू के हिसाब से देखा जाएगा।
लेकिन ये ओवरनाईट नहीं होगा और ये तो तब है जब हम बात कर रहे हैं आपकी इनकम ही नहीं बढ़ेगी। अगर आपने आज मेरी बातों को समझा और 50 हजार को ग्रो करके 80 हजार कर दिया या 70 हजार कर दिया। 20 हजार भी बढ़ गई तो आप ज्यादा पैसा इन्वेस्ट कर पाओगे और ज्यादा पैसा अगर इन्वेस्ट किया तो
अगर आपने 25 हजार की जगह 30 हजार कर दिया, सिर्फ 5 हजार बढ़ा दिया तो ये 33.7 करोड़ हो जाएगी। और इन्फलेशन एडजस्ट करने पर 6.9 करोड़।
मेरा काम था इस पोस्ट में कि आप किस तरह मिडिल क्लास ट्रैप से बाहर निकल सकते हो ये बताना। धन्यवाद
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