"ज़ीरो से सिस्टम तक – 90 दिनों में अपना ऑटोमैटिक बिज़नेस कैसे बनाएं"
(The Ultimate Blueprint to Build a Self-Running Business from Scratch)
बुक का यूनिक पॉइंट (USP)
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सिर्फ बिज़नेस थ्योरी नहीं — हर चैप्टर में एक टास्क, जिसे पूरा करने पर रीडर का बिज़नेस अगले लेवल पर बढ़ेगा।
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रेडीमेड सिस्टम टेम्प्लेट (Google Sheet, Marketing Script, Sales Funnel, Hiring Process)
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असली केस स्टडीज़ — छोटे शहर के लोग जिन्होंने बिना बड़े इन्वेस्टमेंट के स्केलेबल बिज़नेस बनाए।
बुक स्ट्रक्चर (Chapter Outline)
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आपके बिज़नेस का DNA – अपने स्किल, पैशन और मार्केट गैप को मिलाकर आइडिया चुनना
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बिज़नेस सिस्टम का ब्लूप्रिंट – मार्केट, प्रोडक्ट, टीम, सेल्स, डिलीवरी, फाइनेंस
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90-दिन का लॉन्च प्लान – Day 1 से Day 90 तक हर दिन का टास्क
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High-Leverage Income Model – ऐसे मॉडल जो स्केल होते हैं (Franchise, Licensing, E-commerce, Digital Products)
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सेल्स और मार्केटिंग मशीन – ऑटोमैटिक कस्टमर लाने की टेक्निक
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टीम बिल्डिंग और डेलीगेशन – ऐसा सिस्टम बनाना कि बिज़नेस आपके बिना भी चले
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Cashflow & Profit System – खर्च और मुनाफ़ा संभालने के आसान तरीके
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ऑटोमेशन और टेक टूल्स – कम समय में ज्यादा काम करने के लिए
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Fail-Proof Mindset – रिस्क मैनेजमेंट और बिज़नेस को बचाने की तकनीक
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बिज़नेस को बड़ा करना – मल्टी लोकेशन, नए प्रोडक्ट, इंटरनेशनल एक्सपेंशन
बुक का रिज़ल्ट
रीडर जब बुक खत्म करेगा, उसके पास:
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एक क्लियर बिज़नेस आइडिया होगा
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तैयार मार्केटिंग प्लान होगा
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टीम बनाने की स्क्रिप्ट होगी
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पैसा कमाने का सिस्टम सेट होगा
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और 90 दिन में रिज़ल्ट देखने का रोडमैप होगा
Chapter 1: आपके बिज़नेस का DNA – अपने स्किल, पैशन और मार्केट गैप को मिलाकर आइडिया चुनना
इंट्रो – क्यों सिर्फ आइडिया नहीं, सही आइडिया ज़रूरी है
हर कोई कहता है – "मुझे बिज़नेस करना है।" लेकिन सवाल ये है कि कौन-सा बिज़नेस?
अक्सर लोग किसी ट्रेंड या दूसरे के कॉपी किए हुए आइडिया पर कूद पड़ते हैं, और 6 महीने में थक कर छोड़ देते हैं।
क्यों?
क्योंकि वो आइडिया उनके DNA में फिट नहीं था।
बिज़नेस सिर्फ पैसा कमाने का तरीका नहीं है, ये आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा बन जाता है। अगर वो आइडिया आपके स्किल, आपके पैशन और मार्केट की ज़रूरत के बीच बैलेंस नहीं बना रहा, तो या तो आप ऊब जाएंगे या मार्केट आपको रिजेक्ट कर देगा।
Step 1: बिज़नेस का DNA समझना
आपका बिज़नेस DNA =
आपके स्किल (Skill) × आपका पैशन (Passion) × मार्केट की ज़रूरत (Market Gap)
इन तीनों का मिलना मतलब — आपका आइडिया सिर्फ अच्छा नहीं, बल्कि जीवित और स्केलेबल होगा।
उदाहरण:
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अगर आपके पास कराटे सिखाने की स्किल है (Skill)
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बच्चों को सशक्त बनाने का जुनून है (Passion)
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और आपके इलाके में सेल्फ डिफेंस क्लास नहीं है (Market Gap)
तो आपका बिज़नेस DNA = "कराटे + सेल्फ डिफेंस अकादमी"
Step 2: अपनी स्किल्स की पहचान करना
स्किल दो तरह की होती हैं:
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हार्ड स्किल — वो जो आप ट्रेनिंग से सीखते हैं (जैसे कराटे, ग्राफिक डिजाइन, कोडिंग, मार्केटिंग, ट्रेडिंग)।
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सॉफ्ट स्किल — वो जो आपके नेचर और प्रैक्टिस से आती हैं (जैसे कम्युनिकेशन, टीम मैनेजमेंट, प्रॉब्लम सॉल्विंग)।
एक्सरसाइज:
कागज पर 5 मिनट में अपनी कम से कम 10 स्किल लिखिए।
फिर देखें — क्या लोग इन स्किल्स के लिए पैसे देंगे?
अगर हाँ, तो उन स्किल्स को स्टार (*) कर दें।
Step 3: पैशन की पहचान करना
पैशन वो है जो आपको थके बिना करने में मज़ा आता है।
3 सवाल अपने आप से पूछें:
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अगर पैसों की चिंता न हो, तो मैं क्या करता?
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कौन-सा काम करते हुए टाइम का पता ही नहीं चलता?
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किस टॉपिक पर बात करते ही मैं उत्साहित हो जाता हूँ?
पैशन चेकलिस्ट:
हर पैशन को 1–10 के स्कोर पर रेट करें — 10 का मतलब “जीवन भर कर सकता हूँ”।
Step 4: मार्केट गैप ढूँढना
मार्केट गैप मतलब लोगों की जरूरत जो पूरी नहीं हो रही।
कैसे खोजें:
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अपने इलाके का सर्वे करें — क्या चीज़ की कमी है?
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सोशल मीडिया और Google Trends पर देखें लोग किस बारे में पूछ रहे हैं।
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देखें मौजूदा बिज़नेस में क्या कमी है (जैसे सर्विस स्लो है, क्वालिटी खराब है, प्राइस ज्यादा है)।
टूल:
एक “Problem → Solution” लिस्ट बनाइए।
उदाहरण:
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समस्या: गाँव में बैंक या ATM दूर है
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समाधान: Airtel Payment Bank + AePS सर्विस सेंटर
Step 5: तीनों को मिलाकर बिज़नेस DNA बनाना
अब अपनी स्किल, पैशन और मार्केट गैप की लिस्ट को टेबल में डालें:
स्किल | पैशन | मार्केट गैप | बिज़नेस आइडिया |
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कराटे | बच्चों को सशक्त बनाना | शहर में सेल्फ डिफेंस क्लास नहीं | कराटे + सेल्फ डिफेंस अकादमी |
डिजिटल मार्केटिंग | सोशल मीडिया कंटेंट बनाना | लोकल बिज़नेस को ऑनलाइन लाने की जरूरत | लोकल बिज़नेस प्रमोशन एजेंसी |
फिर टॉप 3 आइडिया चुनिए और चेक करें:
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क्या इसमें लोग पैसे देंगे?
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क्या आप इसे 3–5 साल तक कर सकते हैं?
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क्या इसमें स्केलिंग की संभावना है?
End of Chapter Action Task:
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My Skills List – अपनी 10 स्किल लिखें, जिन पर लोग पैसे देंगे।
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My Passion List – टॉप 5 पैशन लिखें और स्कोर दें।
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Market Gap Survey – अपने इलाके में 5 अधूरी जरूरतें लिखें।
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Business DNA Table – ऊपर दी गई टेबल में भरें और टॉप आइडिया चुनें।
📌 याद रखें:
गलत आइडिया आपको मेहनत के बाद भी निराश करेगा, लेकिन सही बिज़नेस DNA आपको 10 साल बाद भी जोश में रखेगा और पैसे भी देगा।
Chapter 2: बिज़नेस सिस्टम का ब्लूप्रिंट – मार्केट, प्रोडक्ट, टीम, सेल्स, डिलीवरी, फाइनेंस
इंट्रो – क्यों सिस्टम, सिर्फ मेहनत से बड़ा है
बहुत लोग बिज़नेस में दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन पैसा फिर भी सीमित आता है।
क्यों?
क्योंकि वो सिस्टम पर नहीं, खुद पर निर्भर रहते हैं।
सिस्टम = ऐसा स्ट्रक्चर जिसमें लोग, प्रोसेस और टेक्नोलॉजी एक साथ काम करें, चाहे आप वहां हों या नहीं।
अगर आप चाहते हैं कि आपका बिज़नेस स्केल हो, रिपीट हो और लंबे समय तक टिके, तो आपको एक फुल ब्लूप्रिंट चाहिए।
Step 1: मार्केट – सही मैदान चुनना
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कस्टमर पर्सोना बनाएं:
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उम्र, जॉब, इनकम, लोकेशन, लाइफस्टाइल
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उनकी समस्या और इच्छाएं
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मार्केट साइज और डिमांड:
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Google Trends, लोकल सर्वे, सोशल मीडिया ग्रुप्स
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कंपटीशन एनालिसिस:
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वे क्या बेच रहे हैं, कैसे बेच रहे हैं, उनकी कमजोरी क्या है
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पोज़िशनिंग:
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आप कैसे अलग हैं? (सस्ता, तेज़, पर्सनलाइज्ड, यूनिक फीचर)
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एक्शन टास्क:
अपने प्रोडक्ट के लिए एक “Ideal Customer” प्रोफाइल बनाएं — नाम, उम्र, लाइफस्टाइल, क्या चाहता है और क्यों खरीदेगा।
Step 2: प्रोडक्ट – मार्केट की जरूरत का जवाब
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Core Offer: आपका मुख्य प्रोडक्ट/सर्विस (जैसे कराटे ट्रेनिंग, डिजिटल कोर्स, कैफे)
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Value Add-ons: एक्स्ट्रा फीचर्स जो वैल्यू बढ़ाएं (फ्री वर्कशॉप, बोनस कंटेंट, एक्स्ट्रा सपोर्ट)
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Pricing Strategy:
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Low Ticket (₹500–₹2,000) = ज्यादा कस्टमर, कम मार्जिन
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Mid Ticket (₹5,000–₹20,000) = बैलेंस
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High Ticket (₹50,000+) = कम कस्टमर, ज्यादा मार्जिन
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USP (Unique Selling Proposition): आपका ऑफर मार्केट में क्यों सबसे अलग है?
एक्शन टास्क:
अपने प्रोडक्ट का नाम, फीचर्स, प्राइस और USP लिखें।
Step 3: टीम – सही लोग, सही जगह
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Core Roles:
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ऑपरेशन्स (काम चलाना)
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मार्केटिंग (लोगों तक पहुंचाना)
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सेल्स (डील क्लोज करना)
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फाइनेंस (पैसा संभालना)
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कस्टमर सपोर्ट (खुश रखना)
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Hiring Tip:
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हर पोजिशन के लिए एक Job Description लिखें
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स्किल + एटीट्यूड का बैलेंस देखें
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डेलेगेशन:
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हर काम खुद करने की बजाय जिम्मेदारी बांटें
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एक्शन टास्क:
एक "Mini Org Chart" बनाएं — कौन क्या करेगा और रिपोर्ट किसको करेगा।
Step 4: सेल्स – पैसा अंदर लाने का इंजन
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Sales Funnel बनाएं:
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Attention (लोग आपको देखें)
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Interest (दिलचस्पी लें)
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Desire (खरीदने का मन बने)
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Action (खरीद लें)
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सेल्स के टूल:
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सोशल मीडिया
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वेबिनार
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रेफरल सिस्टम
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कोल्ड कॉल / WhatsApp मार्केटिंग
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सेल्स स्क्रिप्ट: सवालों और ऑब्जेक्शन के जवाब पहले से तैयार रखें
एक्शन टास्क:
अपने प्रोडक्ट के लिए एक 5-स्टेप सेल्स प्रोसेस लिखें।
Step 5: डिलीवरी – कस्टमर को खुश करने का तरीका
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डिलीवरी प्रोसेस:
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ऑर्डर कन्फर्मेशन → प्रोडक्ट/सर्विस डिलीवरी → फीडबैक
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क्वालिटी कंट्रोल:
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हर डिलीवरी के बाद चेकलिस्ट
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कस्टमर रिटेंशन:
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फॉलो-अप कॉल, वॉरंटी, लॉयल्टी प्रोग्राम
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एक्शन टास्क:
अपनी सर्विस/प्रोडक्ट डिलीवरी का स्टेप-बाय-स्टेप फ्लो लिखें।
Step 6: फाइनेंस – बिज़नेस का खून
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रेवेन्यू ट्रैकिंग: हर इनकम सोर्स का रिकॉर्ड
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खर्च कंट्रोल: फिक्स्ड और वेरिएबल खर्च अलग रखें
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प्रॉफिट मार्जिन: हर प्रोडक्ट पर प्रॉफिट % पता रखें
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कैशफ्लो प्लान:
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कब पैसा आएगा, कब जाएगा
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रीइन्वेस्टमेंट: प्रॉफिट का एक हिस्सा ग्रोथ में लगाएं
एक्शन टास्क:
एक Basic Cashflow Sheet बनाएं — इनकम, खर्च, प्रॉफिट, रीइन्वेस्टमेंट %
End of Chapter Summary:
अगर Chapter 1 ने आपको आपका बिज़नेस DNA दिया, तो Chapter 2 ने आपको उसका ब्लूप्रिंट दिया है।
अब आपके पास वो नक्शा है जिससे आप एक बिज़नेस को सिस्टम में बदल सकते हैं — जो आपके बिना भी चलता है और बढ़ता है।
Chapter 3: 90 दिनों का लॉन्च प्लान – Day 1 से Day 90 तक हर दिन का टास्क
इंट्रो – क्यों 90 दिन?
अगर आपके पास सही आइडिया (Chapter 1) और ब्लूप्रिंट (Chapter 2) है, तो अब बस एक चीज़ चाहिए — तेज़, फोकस्ड एक्शन।
90 दिन = 3 महीने, जिसमें आप आइडिया से लेकर लाइव बिज़नेस तक पहुंच सकते हैं, अगर रोज़ एक छोटा-सा स्टेप लें।
Phase 1 – तैयारी और रिसर्च (Day 1–15)
Day | टारगेट | एक्शन पॉइंट | चेकलिस्ट |
---|---|---|---|
1 | अपना बिज़नेस DNA फाइनल करना | Chapter 1 की वर्कशीट पूरी करें | ✔ DNA तय |
2 | मार्केट रिसर्च | 20–30 लोगों से सर्वे, Google Trends चेक | ✔ Survey |
3 | कंपटीशन एनालिसिस | 5 प्रतियोगियों का डेटा | ✔ Competitor List |
4 | कस्टमर पर्सोना बनाना | उम्र, इनकम, लाइफस्टाइल | ✔ Customer Profile |
5 | प्रोडक्ट/सर्विस आइडिया फाइनल | फीचर्स और प्राइस तय | ✔ Product Sheet |
6 | USP तय करना | आपका प्रोडक्ट क्यों अलग है | ✔ USP Statement |
7 | बिज़नेस नाम चुनना | यूनिक और याद रखने लायक | ✔ Name |
8 | लोगो और ब्रांड कलर | Canva या Designer से | ✔ Logo |
9 | बेसिक बजट प्लान | इनकम–खर्च का अंदाज़ा | ✔ Budget Sheet |
10 | कानूनी सेटअप | GST, Udyam, License | ✔ Legal Done |
11 | बैंक अकाउंट | बिज़नेस अकाउंट खोलें | ✔ Account |
12 | सप्लायर/सोर्सिंग | प्रोडक्ट के सप्लायर फाइनल | ✔ Supplier List |
13 | बेसिक टीम हायरिंग | 1–2 की कोर टीम | ✔ Team Formed |
14 | लोकेशन/ऑफिस/वर्कस्पेस तय | फिजिकल या वर्चुअल | ✔ Workspace |
15 | मार्केटिंग प्लान ड्राफ्ट | ऑफलाइन+ऑनलाइन चैनल | ✔ Marketing Plan |
Phase 2 – सिस्टम और मार्केटिंग सेटअप (Day 16–45)
Day | टारगेट | एक्शन पॉइंट | चेकलिस्ट |
---|---|---|---|
16 | वेबसाइट/लैंडिंग पेज बनाना | डोमेन+होस्टिंग | ✔ Website Live |
17 | सोशल मीडिया अकाउंट | FB, Insta, LinkedIn | ✔ SM Live |
18 | ब्रांड कंटेंट प्लान | पोस्ट/वीडियो थीम तय | ✔ Content Calendar |
19 | सेल्स स्क्रिप्ट बनाना | कॉल, मैसेज, ईमेल के लिए | ✔ Script |
20 | पेमेंट सिस्टम सेटअप | UPI, Payment Gateway | ✔ Payment Ready |
21 | CRM/लीड मैनेजमेंट | Google Sheet या CRM Tool | ✔ CRM Ready |
22 | प्रोडक्ट सैंपल/डेमो | क्वालिटी चेक | ✔ Demo Ready |
23 | प्री-लॉन्च कैंपेन | Coming Soon पोस्ट | ✔ Pre-launch Live |
24 | लोकल पार्टनर/इन्फ्लुएंसर | 2–3 कॉन्टैक्ट फाइनल | ✔ Influencer Ready |
25 | ऑफलाइन मार्केटिंग | फ्लायर, पोस्टर, बैनर | ✔ Printed |
26–30 | कंटेंट क्रिएशन ब्लास्ट | 10–15 कंटेंट तैयार | ✔ Content Stock |
31–35 | ऐड टेस्टिंग | ₹500–₹1000 का ऐड रन | ✔ Ads Tested |
36–40 | फीडबैक कलेक्शन | टेस्ट कस्टमर से | ✔ Feedback |
41–45 | फुल-स्केल मार्केटिंग सेटअप | एड्स+सोशल मीडिया ब्लास्ट | ✔ Full Campaign Ready |
Phase 3 – लॉन्च और सेल्स (Day 46–75)
Day | टारगेट | एक्शन पॉइंट | चेकलिस्ट |
---|---|---|---|
46 | लॉन्च डेट तय | कस्टमर को अनाउंस | ✔ Date Set |
47–49 | फाइनल प्रेप | प्रोडक्ट स्टॉक, टीम ट्रेनिंग | ✔ Ready |
50 | लॉन्च डे | इवेंट/वेबिनार/ऑफर | ✔ Launch Done |
51–60 | सेल्स ड्राइव 1 | डेली 10–20 कस्टमर टच | ✔ Sales Data |
61–65 | फीडबैक और सुधार | नेगेटिव पॉइंट फिक्स | ✔ Improved |
66–70 | सेल्स ड्राइव 2 | नए ऑफर, रेफरल स्कीम | ✔ More Sales |
71–75 | मिनी स्केलिंग | नया लोकेशन/ऑनलाइन प्रमोशन | ✔ Expansion Step 1 |
Phase 4 – स्केल और ऑटोमेशन (Day 76–90)
Day | टारगेट | एक्शन पॉइंट | चेकलिस्ट |
---|---|---|---|
76–80 | टीम एक्सपेंशन | नए मेंबर/फ्रीलांसर | ✔ Team + |
81–83 | ऑटोमेशन टूल सेटअप | ईमेल मार्केटिंग, WhatsApp Bot | ✔ Auto Ready |
84–86 | फ्रेंचाइज़/लाइसेंस प्लान | डॉक्यूमेंट बनाना | ✔ Franchise Plan |
87–88 | प्रॉफिट एनालिसिस | 90 दिन का फाइनेंस चेक | ✔ Profit Report |
89 | ग्रोथ रोडमैप | अगले 6 महीने का प्लान | ✔ Roadmap Ready |
90 | सेलिब्रेशन + टीम मोटिवेशन | मिलस्टोन सेलिब्रेट | ✔ Done 🎯 |
End of Chapter Summary:
इन 90 दिनों के बाद आपके पास होगा:
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लॉन्च हुआ बिज़नेस
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चलती हुई सेल्स
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बेसिक टीम और ऑटोमेशन सिस्टम
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ग्रोथ के लिए रोडमैप
Chapter 4: High-Leverage Income Model
(अपनी कमाई को तेज़ी से 10X करने का मास्टर प्लान)
1. हाई-लेवरेज इनकम मॉडल क्या है?
साधारण बिज़नेस में, आप जितना समय और मेहनत लगाते हैं, उतनी ही कमाई होती है।
लेकिन हाई-लेवरेज इनकम मॉडल में, एक बार मेहनत करने के बाद, आपकी इनकम बार-बार आती है – बिना उतना ही समय लगाए।
यह ऐसा सिस्टम है जिसमें:
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आपका समय = आपकी कमाई से डाइरेक्ट जुड़ा नहीं होता।
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आपकी पहुंच (Reach) और असर (Impact) बहुत तेज़ी से बढ़ता है।
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आपके पास कई आय स्रोत होते हैं, और उनमें से कुछ Auto-Pilot पर चलते हैं।
2. चार सबसे पावरफुल हाई-लेवरेज इनकम मॉडल
नीचे दिए गए चार मॉडल में से, आप एक या एक से ज्यादा का कॉम्बिनेशन चुन सकते हैं:
मॉडल | क्या है? | कैसे काम करता है? | Example |
---|---|---|---|
Franchise Model | अपना बिज़नेस दूसरों को चलाने के लिए देना | आप Brand, Training और System देते हैं, वो Royalty या Fee देते हैं | Domino's, Karate School Franchise |
Digital Products | eBook, Online Course, Templates | एक बार बनाओ, हजारों बार बेचो | Udemy Course, eBook |
Licensing Model | अपने Content, Process या Product को दूसरों को लाइसेंस देना | वे आपके सिस्टम से कमाते हैं और आपको Royalty देते हैं | Music Licensing, Software License |
High-Ticket Sales | Premium Clients को Premium Price पर सेवा | कम क्लाइंट, ज्यादा प्रॉफिट | Corporate Training, Coaching Package |
3. एक्शन प्लान – अपना मॉडल सेट करने के लिए स्टेप्स
स्टेप | एक्शन | टूल्स/Resources | समय सीमा |
---|---|---|---|
Step 1 | अपना कोर प्रोडक्ट/सर्विस चुनें | Google Trends, Market Survey | Day 1-3 |
Step 2 | हाई-लेवरेज मॉडल तय करें (Franchise/Digital आदि) | Business Model Canvas | Day 4-5 |
Step 3 | एक मिनी वर्ज़न लॉन्च करें | Canva, Gumroad, Teachable | Day 6-20 |
Step 4 | पहले 10 ग्राहक/फ्रेंचाइज़ पार्टनर पाएं | Social Media Ads, Networking | Day 21-40 |
Step 5 | सिस्टम को ऑटोमेट करें (Payments, Delivery) | Razorpay, Zapier, Google Drive | Day 41-60 |
Step 6 | स्केलिंग करें (10x Growth) | Hire Team, Franchise Expansion, Affiliate Program | Day 61-90 |
4. प्रैक्टिकल टेबल – फ्रेंचाइज़ और डिजिटल प्रोडक्ट का कॉम्बिनेशन
मान लीजिए, आप एक Karate School चलाते हैं:
मॉडल | प्रति यूनिट प्राइस | पहले साल में यूनिट | टोटल इनकम |
---|---|---|---|
Franchise | ₹2,00,000 | 5 | ₹10,00,000 |
Digital Course | ₹2,000 | 500 | ₹10,00,000 |
High-Ticket Coaching | ₹50,000 | 10 | ₹5,00,000 |
कुल | - | - | ₹25,00,000 |
5. हाई-टिकट सेल्स चेकलिस्ट
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✅ क्लाइंट की प्रॉब्लम को गहराई से समझो
-
✅ सॉल्यूशन को Premium Packaging में दो
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✅ केस स्टडी और टेस्टिमोनियल तैयार रखो
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✅ ट्रायल/डेमो ऑफर करो
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✅ Negotiation के लिए वैल्यू-पॉइंट्स पहले से तैयार करो
6. मोटिवेशन – क्यों अभी शुरू करना चाहिए?
आज अगर आप सिर्फ टाइम के बदले पैसे कमा रहे हैं, तो आपकी इनकम लिमिटेड है।
लेकिन अगर आप एक ऐसा सिस्टम बना लें जो आपके बिना भी पैसे कमाता रहे, तो आप सच में बिज़नेस ओनर हैं, सिर्फ सेल्फ-एम्प्लॉई नहीं।
याद रखें –
“सिस्टम आपके लिए काम करे, न कि आप सिस्टम के लिए।”
Chapter 5: Automated Business Engine – 24x7 कमाई का सिस्टम
इंट्रोडक्शन – क्यों ज़रूरी है ऑटोमेशन?
अगर आपका बिज़नेस पूरी तरह आपकी मौजूदगी पर निर्भर है, तो आप एक सेल्फ-एम्प्लॉयड जॉब चला रहे हैं, न कि बिज़नेस।
असली बिज़नेस वह है जो आपके सोने, घूमने या छुट्टी पर जाने के बाद भी पैसा कमाता रहे।
यहीं पर आता है – Automated Business Engine का कॉन्सेप्ट।
यह सिस्टम आपके बिज़नेस के हर हिस्से को ऐसे टूल्स, प्रोसेस और टीम से जोड़ देता है कि
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लीड जनरेशन ऑटोमेटिक
-
सेल्स ऑटोमेटिक
-
डिलीवरी ऑटोमेटिक
-
पेमेंट कलेक्शन ऑटोमेटिक
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कस्टमर सपोर्ट भी आंशिक रूप से ऑटोमेटिक
Step 1: Core Process Map तैयार करें
पहले अपने बिज़नेस के सभी प्रोसेस को लिस्ट करें:
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लीड कैप्चर (ग्राहक कहाँ से आएंगे?)
-
लीड नर्चरिंग (ग्राहक से रिश्ते बनाना)
-
सेल्स कन्वर्ज़न (खरीदने के लिए राज़ी करना)
-
प्रोडक्ट/सर्विस डिलीवरी
-
पेमेंट और बिलिंग
-
कस्टमर सपोर्ट और री-सेल
एक्शन पॉइंट: A4 पेपर पर फ्लोचार्ट बनाएं जिसमें ग्राहक के पहले संपर्क से लेकर आखिरी भुगतान तक का पूरा सफर दिखे।
Step 2: ऑटोमेशन टूल्स और सिस्टम
प्रोसेस | टूल/सॉल्यूशन | एक्शन |
---|---|---|
लीड कैप्चर | Facebook Ads, Google Ads, Landing Pages (Instapage, Systeme.io) | एक आकर्षक ऑफ़र बनाकर पेड ऐड्स चलाएं |
लीड नर्चरिंग | Email/SMS Automation (Mailchimp, ConvertKit, MSG91) | एक 7-ईमेल वेलकम सीक्वेंस बनाएं |
सेल्स | Webinar Funnel, Pre-recorded Video Funnel | ऑटो-वेबिनार या सेल्स पेज तैयार करें |
पेमेंट | Razorpay, Instamojo, PayPal | पेमेंट लिंक/गेटवे सेट करें |
डिलीवरी | LMS (Teachable, Thinkific) / Courier Partner | डिजिटल प्रोडक्ट = LMS, फिजिकल = डिलीवरी API |
सपोर्ट | WhatsApp Business API, Chatbot (ManyChat, Tidio) | FAQs + चैटबॉट इंटीग्रेशन |
Step 3: फ्रंट-एंड + बैक-एंड मशीन बनाएं
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फ्रंट-एंड: ग्राहक आकर्षित करने के लिए Free Content + Low-Cost Offer
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बैक-एंड: हाई-टिकट प्रोडक्ट, सब्सक्रिप्शन मॉडल, अपसेल्स
📌 उदाहरण:
-
फ्रंट-एंड = ₹99 की मिनी-वर्कशॉप
-
बैक-एंड = ₹25,000 का कोचिंग प्रोग्राम + ₹5,000/माह सब्सक्रिप्शन
Step 4: KPI और मेट्रिक्स सेट करें
हर हफ्ते मापें:
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लीड्स कितनी आईं
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कन्वर्ज़न रेट
-
औसत ऑर्डर वैल्यू
-
रिपीट परचेज रेट
Step 5: डेली ऑपरेशन से बाहर निकलना
-
SOP (Standard Operating Procedures) बनाएं
-
एक ऑपरेशंस मैनेजर को ट्रेन करें
-
खुद को सिर्फ ग्रोथ स्ट्रैटेजी में रखें
Practical Action Table
हफ्ता | टास्क | रिजल्ट |
---|---|---|
Week 1 | बिज़नेस प्रोसेस मैप बनाना | स्पष्ट रोडमैप |
Week 2 | लीड कैप्चर सिस्टम सेटअप | लीड आना शुरू |
Week 3 | ईमेल/व्हाट्सएप नर्चर सीक्वेंस | ऑटो रिलेशन बिल्ड |
Week 4 | पेमेंट + डिलीवरी सिस्टम | बिक्री और डिलीवरी ऑटोमेटिक |
Week 5 | KPI ट्रैकिंग डैशबोर्ड | डेटा-बेस्ड डिसीजन |
Week 6+ | टीम ट्रेनिंग और स्केलिंग | फाउंडर फ्री + बिज़नेस 24x7 चलता |
💡 गोल्डन टिप:
एक बार आपका Automated Business Engine सेट हो गया, तो आप नए प्रोडक्ट्स, नए मार्केट और फ्रेंचाइज़ मॉडल में तेजी से स्केल कर सकते हैं।
Chapter 6: टीम बिल्डिंग और डेलीगेशन – ऐसा सिस्टम बनाना कि बिज़नेस आपके बिना भी चले
इंट्रोडक्शन – मालिक नहीं, सिस्टम के क्रिएटर बनो
एक सच्चा उद्यमी वही है जो “बिज़नेस में काम करने” से निकलकर “बिज़नेस पर काम करने” की ओर बढ़ता है।
अगर आपका बिज़नेस सिर्फ आपकी मौजूदगी पर चलता है, तो ये जॉब विद रिस्क है, बिज़नेस नहीं।
यह चैप्टर आपको एक ऐसा सिस्टम बनाने में मदद करेगा जिसमें
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आपकी टीम फैसले ले सके
-
हर काम के लिए SOP (Standard Operating Procedure) हो
-
और आप सिर्फ ग्रोथ स्ट्रैटेजी पर फोकस करें
Step 1 – सही लोगों को सही रोल पर लगाना
आपके बिज़नेस की ग्रोथ की स्पीड = आपकी टीम की स्किल + उनकी ओनरशिप
Action Plan:
स्टेप | टास्क | चेकलिस्ट |
---|---|---|
1 | बिज़नेस में सभी रोल लिस्ट करें (सेल्स, मार्केटिंग, ऑपरेशन, कस्टमर सपोर्ट, अकाउंट) | ✔ सभी रोल लिखें |
2 | हर रोल के लिए स्किल और KPI तय करें | ✔ KPI = Key Performance Indicator |
3 | भर्ती में Attitude First, Skill Second अप्रोच लें | ✔ इंटरव्यू में कैरेक्टर और ईमानदारी टेस्ट करें |
Step 2 – SOP (Standard Operating Procedures) बनाना
SOP = काम को इस तरह डॉक्यूमेंट करना कि कोई भी नया व्यक्ति 80% क्वालिटी के साथ तुरंत कर सके।
Action Plan:
-
हर प्रोसेस को वीडियो, डॉक्यूमेंट या चेकलिस्ट में लिखें
-
Example:
-
Sales SOP → कॉल स्क्रिप्ट, प्रेज़ेंटेशन टेम्पलेट, फॉलोअप रूल्स
-
Delivery SOP → प्रोडक्ट डिलीवरी टाइमलाइन, क्वालिटी चेक
-
Finance SOP → इनवॉइसिंग, पेमेंट कलेक्शन, खर्चा अप्रूवल
-
Step 3 – डेलीगेशन का गोल्डन रूल
“अगर कोई काम टीम 70% क्वालिटी से कर सकती है, तो उसे छोड़ दो।”
-
100% परफेक्शन की उम्मीद छोड़ दें, वर्ना आप सबकुछ खुद करेंगे
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टीम को फैसले लेने का अधिकार दें, लेकिन उनकी जवाबदेही भी तय करें
डेलीगेशन फ्रेमवर्क:
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Explain – काम का उद्देश्य और रिज़ल्ट बताएं
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Equip – सही टूल, ट्रेनिंग और SOP दें
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Empower – काम का फैसला करने की आज़ादी दें
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Evaluate – रिज़ल्ट चेक करें और फीडबैक दें
Step 4 – टीम को ओनरशिप देना
टीम को सिर्फ सेलरी पर मत रखें, बल्कि इनसेंटिव और प्रॉफिट शेयरिंग मॉडल अपनाएं।
-
सेल्स टीम → परफॉर्मेंस बोनस
-
ऑपरेशन टीम → समय पर डिलीवरी पर रिवॉर्ड
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मैनेजमेंट टीम → प्रॉफिट शेयर
Step 5 – लीडरशिप रूटीन बनाना
सप्ताह में सिर्फ 2 घंटे टीम सिंक मीटिंग में दें:
-
Monday Kickstart – इस हफ्ते के टारगेट तय
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Friday Review – हफ्ते की प्रोग्रेस और अगले हफ्ते का प्लान
High-Impact Example
💡 अगर आप कराटे क्लास चला रहे हैं
-
ट्रेनर्स को ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन देकर डेली क्लास हैंडल करने दें
-
फीस कलेक्शन, स्टूडेंट ऑनबोर्डिंग और मार्केटिंग का SOP बनाएं
-
खुद सिर्फ नए स्कूल टाई-अप और फ्रेंचाइज़ सेटअप पर ध्यान दें
Final Checklist – क्या आपका बिज़नेस बिना आपके चल सकता है?
✔ हर रोल के लिए ट्रेन किया हुआ इंसान है
✔ सभी काम के SOP डॉक्यूमेंटेड हैं
✔ टीम के पास फैसले लेने की पावर है
✔ आपके पास हफ्ते में कम से कम 10 घंटे “सिर्फ ग्रोथ” के लिए हैं
Chapter 7: Cashflow & Profit System – खर्च और मुनाफ़ा संभालने के आसान तरीके
Introduction – क्यों ज़रूरी है Cashflow और Profit System?
अच्छा प्रोडक्ट, बढ़िया टीम और बढ़ता हुआ बिज़नेस होने के बावजूद बहुत से लोग पैसे की तंगी में फँस जाते हैं।
क्यों?
क्योंकि वे कमाई और खर्च के बीच का बैलेंस नहीं बना पाते।
बिज़नेस में Cashflow वो खून है जो पूरी बॉडी (सिस्टम) में घूमता है, और Profit वो ऑक्सीजन है जो बिज़नेस को जिंदा रखती है।
अगर खून रुक जाए या ऑक्सीजन खत्म हो जाए – बिज़नेस सांस नहीं ले पाएगा।
Step-by-Step Cashflow & Profit Management System
Step 1: Profit First Approach अपनाएं
बहुत से बिज़नेस में ये गलती होती है कि पहले खर्च करते हैं और जो बचा उसे प्रॉफिट कहते हैं।
सही तरीका:
Income – Profit = Expense
यानी जो भी इनकम आए, पहले उसका 10%-20% प्रॉफिट के रूप में अलग करें, फिर बाकी पैसों से खर्च प्लान करें।
Action Point:
-
एक अलग Profit Account खोलें।
-
हर कमाई का तय प्रतिशत उसमें तुरंत ट्रांसफर करें।
Step 2: 3 अकाउंट सिस्टम अपनाएं
-
Income Account – जहां पूरी कमाई आएगी
-
Expense Account – जहां से बिज़नेस के खर्च होंगे
-
Profit & Tax Account – जहां से सिर्फ मुनाफ़ा और टैक्स जमा होगा
चेकलिस्ट:
-
महीने की शुरुआत में खर्च का बजट तय करें
-
Profit & Tax अकाउंट में हाथ न लगाएं, सिर्फ ज़रूरत के समय
Step 3: Cashflow Calendar बनाएं
हर बिज़नेस में पैसे का इनफ्लो (आना) और आउटफ्लो (जाना) का टाइम अलग होता है।
अगर आपको पहले से पता हो कि कब पैसे आएंगे और कब जाएंगे, तो कमी का डर खत्म हो जाता है।
Example Table:
Date | Inflow (Income) | Outflow (Expense) | Net Balance |
---|---|---|---|
5th | ₹50,000 | ₹10,000 (Salary) | ₹40,000 |
10th | ₹25,000 | ₹15,000 (Rent) | ₹50,000 |
15th | ₹40,000 | ₹20,000 (Stock) | ₹70,000 |
Step 4: 70/20/10 Rule अपनाएं
-
70% – ऑपरेशनल खर्च (स्टाफ, किराया, मार्केटिंग, स्टॉक)
-
20% – बिज़नेस ग्रोथ (नए प्रोजेक्ट, अपग्रेड, स्किल डेवलपमेंट)
-
10% – इमरजेंसी फंड / Profit
Step 5: Negative Cashflow से बचने के तरीके
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सिर्फ ज़रूरत के मुताबिक स्टॉक खरीदें
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क्रेडिट सेल्स (उधार) कम से कम रखें
-
कस्टमर से पहले एडवांस पेमेंट लेने की आदत डालें
-
बड़े खर्च को छोटे हिस्सों में बांटें
Step 6: Profit बढ़ाने के फॉर्मूले
-
High Margin Products/Services पर फोकस करें
-
Recurring Income Sources बनाएं (सब्सक्रिप्शन, मेंबरशिप)
-
Cost Optimization – सस्ते लेकिन अच्छे सप्लायर ढूंढें
-
Upsell & Cross-sell – एक प्रोडक्ट के साथ दूसरा ऑफर करें
Step 7: Monthly Profit Review Meeting
-
महीने के आखिरी दिन 1 घंटे बैठें
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देखें कि बजट के मुताबिक खर्च हुआ या नहीं
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अगली महीने के लिए Profit Target सेट करें
-
अगर Profit कम है तो तुरंत Cost-Cut या Sales Boost Plan बनाएं
Quick Action Plan Table
Action | Timeframe | Responsibility |
---|---|---|
Profit Account खोलना | Day 1 | Owner |
3 Account System सेटअप | Week 1 | Accountant |
Cashflow Calendar बनाना | Week 1 | Finance Team |
70/20/10 Rule लागू करना | Month 1 | All Dept. |
Monthly Profit Review | Month End | Owner & Team |
📌 Golden Rule:
“बिज़नेस में Profit अपने आप नहीं आता, उसे प्लान करके और डिसिप्लिन से बनाया जाता है।”
Chapter 8: ऑटोमेशन और टेक टूल्स – कम समय में ज्यादा काम करने के लिए
इंट्रोडक्शन – क्यों ऑटोमेशन बिज़नेस का सुपरपावर है
आज के समय में बिज़नेस में “कम मेहनत, ज्यादा आउटपुट” सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि सही सिस्टम और टूल्स से एक हकीकत है।
अगर आप बार-बार होने वाले काम (repetitive tasks) को ऑटोमेट कर दें, तो आपकी एनर्जी और समय उन चीजों में जाएगा जो बिज़नेस ग्रोथ लाती हैं – जैसे सेल्स, मार्केटिंग और इनोवेशन।
सोचिए…
-
लीड अपने आप आए
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ईमेल अपने आप भेजे जाएं
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कस्टमर अपने आप अपडेट हों
-
सेल्स रिपोर्ट अपने आप तैयार हो जाए
यानी, आप बिज़नेस के पायलट बनें, मजदूर नहीं।
1. ऑटोमेशन की ज़रूरत कहाँ होती है
ऑटोमेशन वहीं करना चाहिए जहां बार-बार एक जैसा काम होता है और उस पर आपका या आपकी टीम का घंटों समय खर्च होता है।
उदाहरण:
-
लीड कैप्चर और फॉलोअप
-
पेमेंट कलेक्शन और इनवॉइस
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स्टॉक मैनेजमेंट
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कर्मचारी का टाइम ट्रैकिंग
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सोशल मीडिया पोस्टिंग
2. ऑटोमेशन के 5 लेवल
लेवल | फोकस | टूल्स के उदाहरण | आउटपुट |
---|---|---|---|
1 | लीड ऑटोमेशन | Google Forms + CRM (Zoho CRM, HubSpot) | लीड अपने आप सेव और क्वालिफाई |
2 | मार्केटिंग ऑटोमेशन | Mailchimp, ConvertKit, WhatsApp API | ईमेल/मैसेज अपने आप भेजना |
3 | सेल्स ऑटोमेशन | Shopify, Razorpay, WooCommerce | पेमेंट और बिलिंग अपने आप |
4 | ऑपरेशंस ऑटोमेशन | Trello, Asana, ClickUp | टास्क और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट |
5 | डेटा और रिपोर्टिंग ऑटोमेशन | Google Data Studio, Excel Macros | रियल-टाइम बिज़नेस रिपोर्ट |
3. आपके बिज़नेस के लिए सही टूल कैसे चुनें
टूल चुनने से पहले 3 सवाल पूछें:
-
क्या ये समय बचाएगा?
-
क्या ये मैनुअल एरर कम करेगा?
-
क्या ये आपकी टीम आसानी से चला पाएगी?
4. 90-Minute Automation Rule
-
हर हफ्ते सिर्फ 90 मिनट ऐसे काम को ऑटोमेट करने में लगाएँ, जो सबसे ज्यादा समय खा रहा है।
-
हर महीने 3-4 प्रोसेस ऑटोमेट होने लगेंगे और सालभर में आपका बिज़नेस 50% फ्री मोड में चलने लगेगा।
5. स्टेप-बाय-स्टेप ऑटोमेशन सेटअप
Step 1: Repeat होने वाले टास्क की लिस्ट बनाइए
Step 2: फ्री या पेड टूल ढूंढिए जो इसे ऑटोमेट करे
Step 3: टेस्ट रन कीजिए – 2-3 दिनों तक
Step 4: टीम को ट्रेन कीजिए
Step 5: परफॉर्मेंस ट्रैक कीजिए और जरूरत पड़ने पर टूल बदलें
6. 10 Must-Have Automation Tools
काम | टूल | फायदा |
---|---|---|
लीड कैप्चर | Google Forms + Sheets | डेटा अपने आप सेव |
CRM | Zoho CRM | लीड ट्रैकिंग और फॉलोअप |
ईमेल मार्केटिंग | Mailchimp | कैंपेन अपने आप |
WhatsApp ऑटोमेशन | WATI, Interakt | कस्टमर मैसेज अपने आप |
पेमेंट कलेक्शन | Razorpay, Instamojo | ऑटो इनवॉइस |
ई-कॉमर्स | Shopify, WooCommerce | ऑर्डर मैनेजमेंट |
टास्क मैनेजमेंट | Trello, ClickUp | टीम का काम ट्रैक |
सोशल मीडिया | Buffer, Publer | पोस्ट शेड्यूलिंग |
रिपोर्टिंग | Google Data Studio | ऑटो रिपोर्ट |
HR/Attendance | Keka, GreytHR | स्टाफ मैनेजमेंट |
7. ऑटोमेशन से होने वाले फायदे
✅ समय की बचत
✅ कम मिस्टेक
✅ फास्ट डिलीवरी
✅ ज्यादा कस्टमर संतुष्टि
✅ स्केलेबल बिज़नेस
Action Plan (चेकलिस्ट)
आज ही करें:
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☐ 5 रिपीट होने वाले टास्क की लिस्ट बनाएं
-
☐ हर टास्क के लिए एक टूल सर्च करें
-
☐ एक टूल इस हफ्ते सेटअप करें
इस महीने:
-
☐ 4 टास्क ऑटोमेट करें
-
☐ टीम को ट्रेन करें
-
☐ रिजल्ट ट्रैक करें
Chapter 9: Fail-Proof Mindset – रिस्क मैनेजमेंट और बिज़नेस को बचाने की तकनीक
इंट्रोडक्शन: क्यों हर बिज़नेस को Fail-Proof Mindset चाहिए
बिज़नेस सिर्फ प्रॉफिट कमाने का खेल नहीं है—ये एक सर्वाइवल गेम है।
मार्केट गिर सकता है, क्लाइंट छोड़ सकते हैं, टीम बदल सकती है… लेकिन अगर आपका माइंडसेट मजबूत और रिस्क हैंडलिंग स्ट्रेटेजी पक्की है, तो आप सिर्फ टिकेंगे ही नहीं, बल्कि और मज़बूत बनकर निकलेंगे।
1. Fail-Proof Mindset क्या है?
Fail-Proof Mindset का मतलब है:
-
हर चैलेंज के लिए तैयार रहना
-
प्लान B, C, D हमेशा तैयार रखना
-
इमोशनल स्टेबिलिटी बनाए रखना
-
डेटा और रियलिटी के आधार पर डिसीजन लेना
2. रिस्क के 5 बड़े प्रकार
रिस्क का प्रकार | उदाहरण | बचाव की तकनीक |
---|---|---|
फाइनेंशियल रिस्क | कैश खत्म होना | कैशफ्लो मैनेजमेंट, 6 महीने का रिजर्व |
मार्केट रिस्क | डिमांड कम होना | डाइवर्सिफिकेशन, नए प्रोडक्ट |
ऑपरेशनल रिस्क | मशीन खराब होना | बैकअप मशीन, प्रोसेस ऑटोमेशन |
लीगल रिस्क | कंप्लायंस ब्रेक | लीगल अडवाइजर, डॉक्यूमेंटेशन |
टीम रिस्क | की-मेंबर छोड़ना | SOPs, ट्रेनिंग, सक्सेशन प्लान |
3. Fail-Proof Mindset के 6 गोल्डन रूल्स
-
"डेटा इज़ गॉड" – गेसवर्क नहीं, नंबर पर भरोसा करें
-
फेलियर को टेस्ट मानें – हर गलती एक फीडबैक है
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डाइवर्स इनकम सोर्स रखें – एक ही सोर्स पर निर्भर मत रहें
-
सिस्टम्स और SOPs तैयार करें – ताकि आपके बिना भी काम चले
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रिजर्व कैश रखें – कम से कम 6 महीने का खर्च
-
इमोशन को डिसीजन से अलग रखें – बिज़नेस में ठंडा दिमाग ज़रूरी है
4. प्रैक्टिकल एक्शन प्लान
स्टेप | टास्क | चेकलिस्ट |
---|---|---|
Step 1 | अपने बिज़नेस के सभी रिस्क लिस्ट करें | 10-15 पॉइंट |
Step 2 | हर रिस्क का इम्पैक्ट और प्रॉबेबिलिटी स्कोर करें | 1 से 10 तक |
Step 3 | टॉप 5 रिस्क के लिए बचाव प्लान बनाएं | Yes/No प्लान |
Step 4 | हर महीने रिस्क रिव्यू मीटिंग करें | मीटिंग नोट्स |
Step 5 | 6 महीने का रिजर्व फंड बनाएं | बैंक में अलग अकाउंट |
5. Fail-Proof टूलकिट
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Google Sheets / Excel – रिस्क ट्रैकिंग
-
Trello / Asana – टास्क और रिस्क मैनेजमेंट
-
Slack / WhatsApp Groups – टीम अलर्ट सिस्टम
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LastPass – पासवर्ड सिक्योरिटी
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Dropbox / Google Drive – डॉक्यूमेंट बैकअप
6. चेकलिस्ट: क्या आपका बिज़नेस Fail-Proof है?
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मेरे पास कम से कम 6 महीने का रिजर्व फंड है
-
मेरे पास हर क्रिटिकल रिस्क का बैकअप प्लान है
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मेरी टीम के पास सभी SOPs मौजूद हैं
-
मेरी इनकम कम से कम 3 सोर्स से आती है
-
हर महीने रिस्क रिव्यू मीटिंग होती है
💡 माइंडसेट मंत्र:
"रिस्क खत्म नहीं होता, लेकिन स्मार्ट माइंडसेट रिस्क को कंट्रोल कर सकता है।"
Chapter 10: बिज़नेस को बड़ा करना – मल्टी लोकेशन, नए प्रोडक्ट, इंटरनेशनल एक्सपेंशन
परिचय
आपका बिज़नेस अब स्थिर हो चुका है, सिस्टम बन चुका है, और मुनाफ़ा भी आ रहा है। अब समय है अगली छलांग लगाने का – Growth Phase।
यह वह स्टेज है जहाँ आपको सिर्फ़ मेहनत नहीं, बल्कि सही दिशा में मेहनत करनी होती है, ताकि आपका बिज़नेस सीमाओं से बाहर निकलकर Multi-location, Multi-product और International Level तक पहुँच सके।
1. मल्टी लोकेशन एक्सपेंशन – Step-by-Step
Step 1: Location Feasibility Study
-
नई लोकेशन पर जाने से पहले मार्केट रिसर्च करें।
-
वहाँ का टारगेट ऑडियंस, प्रतियोगिता, खर्च और संभावित सेल्स का विश्लेषण करें।
-
डेटा के बिना लोकेशन चुनना = रिस्क बढ़ाना।
Step 2: रिप्लिकेबल मॉडल तैयार करें
-
आपका बिज़नेस सिस्टम इतना सरल और स्पष्ट होना चाहिए कि कोई भी नई लोकेशन उसी स्टैंडर्ड पर चल सके।
-
SOPs (Standard Operating Procedures) डॉक्यूमेंट में लिखें।
Step 3: फ्रेंचाइज़ या कंपनी-ओन्ड?
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फ्रेंचाइज़: कम निवेश, तेज़ी से स्केल, लेकिन कंट्रोल थोड़ा कम।
-
कंपनी-ओन्ड: ज्यादा निवेश, फुल कंट्रोल, लेकिन ग्रोथ स्पीड थोड़ी कम।
Step 4: पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करें
-
नई लोकेशन को टेस्ट प्रोजेक्ट की तरह लॉन्च करें।
-
6 महीने में परफॉर्मेंस के आधार पर स्केल करें।
2. नए प्रोडक्ट लॉन्च – Step-by-Step
Step 1: ग्राहक की समस्या पहचानें
-
जो लोग आपके मौजूदा प्रोडक्ट खरीद रहे हैं, उनसे पूछें – “आपको और क्या चाहिए?”
-
सर्वे, फीडबैक और सोशल मीडिया पोल से डेटा लें।
Step 2: कम कॉस्ट वाला MVP (Minimum Viable Product) बनाएं
-
तुरंत हाई इन्वेस्टमेंट वाले प्रोडक्ट लॉन्च न करें।
-
पहले छोटा, टेस्ट वर्ज़न मार्केट में उतारें।
Step 3: Cross-selling और Upselling स्ट्रेटेजी
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अगर आप कराटे क्लास चला रहे हैं, तो स्पोर्ट्स गियर, हेल्थ सप्लीमेंट, ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स भी ऑफर कर सकते हैं।
-
एक ग्राहक से 2-3 बार सेल करना सीखें।
Step 4: प्रोडक्ट पोज़िशनिंग
-
प्रोडक्ट को एक स्टोरी के साथ मार्केट करें।
-
लोग प्रोडक्ट से ज्यादा स्टोरी खरीदते हैं।
3. इंटरनेशनल एक्सपेंशन – Step-by-Step
Step 1: एक्सपोर्ट और ऑनलाइन सेल्स
-
Amazon Global, Etsy, Alibaba जैसे प्लेटफॉर्म से इंटरनेशनल मार्केट में एंट्री करें।
-
डिजिटल प्रोडक्ट्स के लिए इंटरनेशनल पेमेंट गेटवे सेट करें।
Step 2: इंटरनेशनल मार्केट रिसर्च
-
हर देश का ग्राहक अलग सोचता है।
-
वहाँ के लोकल कल्चर, प्राइस पॉइंट और मार्केटिंग स्टाइल को समझें।
Step 3: पार्टनरशिप और लाइसेंसिंग
-
लोकल बिज़नेस के साथ पार्टनर बनें।
-
अपना ब्रांड नाम लाइसेंस देकर रॉयल्टी इनकम कमाएँ।
Step 4: ग्लोबल टीम और सपोर्ट
-
अलग टाइम ज़ोन के लिए वर्चुअल टीम बनाएं।
-
मल्टी-लैंग्वेज कस्टमर सपोर्ट सेट करें।
4. 90-दिन का स्केलिंग एक्शन प्लान
दिन | टारगेट | एक्शन पॉइंट |
---|---|---|
Day 1-10 | मार्केट रिसर्च | नई लोकेशन/देश के डेटा, प्रतियोगी और खर्च का विश्लेषण |
Day 11-20 | बिज़नेस मॉडल टेस्ट | नई लोकेशन पर मिनी पायलट लॉन्च |
Day 21-40 | प्रोडक्ट डेवलपमेंट | MVP तैयार करना, फीडबैक लेना |
Day 41-60 | मार्केटिंग लॉन्च | लोकल इन्फ्लुएंसर और ऑनलाइन कैंपेन |
Day 61-80 | टीम बिल्डिंग | मैनेजर, ट्रेनर और सेल्स टीम हायर करना |
Day 81-90 | स्केल और ऑटोमेशन | प्रोसेस ऑटोमेट, फ्रेंचाइज़/लाइसेंस डील साइन करना |
5. गोल्डन रूल्स ऑफ़ बिज़नेस एक्सपेंशन
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डेटा के बिना निर्णय न लें – रिसर्च पहले, एक्शन बाद में।
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सिस्टम के बिना स्केल न करें – वरना कंट्रोल खो देंगे।
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पार्टनर चुनने में समय लगाएँ – सही पार्टनर = आधी जीत।
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कैशफ़्लो सुरक्षित रखें – ग्रोथ के साथ खर्च भी बढ़ता है।
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कस्टमर एक्सपीरियंस को कभी न भूलें – स्केल करते समय क्वालिटी बनाए रखें।
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