भारत की विडम्बना: गरीब जनता और अमीर नेता
भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति है। यहाँ करोड़ों लोग मेहनत करके अपना जीवन यापन करते हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि देश की जनता का एक बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहा है, जबकि देश के अधिकांश मंत्री और नेता करोड़पति—यहाँ तक कि अरबपति—हैं।अमीर नेता, गरीब देश
चुनाव आयोग के हलफनामों में बार-बार यह देखा गया है कि चुनाव लड़ने वाले अधिकांश प्रत्याशी करोड़पति होते हैं। उनका ऐश्वर्य बढ़ता है, लेकिन देश की आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और कर्ज़ जैसी समस्याओं से जूझती रहती है।
संकट के समय जनता पर बोझ
जब भी देश पर कोई आपदा आती है—जैसे महामारी, बाढ़, भूकंप या कोई राष्ट्रीय संकट—तो सबसे पहले जनता से “दान” माँगा जाता है। टीवी, अखबार और सोशल मीडिया पर चंदा इकट्ठा करने की अपीलें दिखाई देती हैं। सवाल यह है कि जब नेताओं की संपत्ति इतनी है तो वे क्यों नहीं आगे आते? क्यों हमेशा जनता को ही बोझ उठाना पड़ता है?
बड़ा सवाल: टैक्स क्यों?
अगर हर संकट के समय जनता से ही मदद माँगी जाती है, तो फिर सरकार को GST और अन्य टैक्स देने का औचित्य क्या है?
- जब जनता चंदा करके अपने गाँव में मंदिर बना सकती है, पूजा-पाठ करा सकती है और समाजिक कार्य पूरे कर सकती है, तो क्या वे अपने रोजगार और विकास के साधन भी खुद खड़े नहीं कर सकती?
- अगर हर समस्या जनता को ही सुलझानी है, तो सरकार द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स बंद क्यों न कर दिया जाए?
- टैक्स से होने वाला फायदा आम जनता को बहुत कम, लेकिन बड़े नेताओं और कॉर्पोरेट कंपनियों को अधिक क्यों मिलता है?
वास्तविकता और सवाल
- क्या जनता सच में इतनी समृद्ध है कि हर बार संकट में उसी पर बोझ डाला जाए?
- क्या मंत्री और नेताओं की करोड़ों-अरबों की संपत्ति सिर्फ़ उनके परिवार के लिए है, न कि देश के लिए?
- टैक्स देने के बाद भी आम आदमी को स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार की गारंटी क्यों नहीं मिलती?
- क्या टैक्स की पूरी व्यवस्था केवल नेताओं और बड़े बिज़नेस समूहों को लाभ पहुँचाने के लिए बनी है?
पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत
- नेताओं की संपत्ति पर पारदर्शिता जरूरी है।
- टैक्स सिस्टम में आम जनता के लिए स्पष्ट और प्रत्यक्ष लाभ होना चाहिए।
- देश पर संकट आने पर नेताओं को भी अपनी निजी संपत्ति से योगदान देना चाहिए।
- जनता को अब समझना होगा कि सिर्फ़ वोट डालना काफी नहीं है, बल्कि नेताओं से सवाल करना भी उनकी जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष
भारत की असली ताकत उसकी जनता है। यह वही जनता है जो अपने गाँवों में मंदिर बनाती है, सड़क बनाती है और चंदा इकट्ठा करके बड़े-बड़े काम कर दिखाती है। अगर यही जनता एकजुट होकर अपने अधिकारों और टैक्स के असली उपयोग पर सवाल पूछे, तो न केवल सरकारें जवाबदेह होंगी बल्कि देश का भविष्य भी उज्ज्वल होगा।
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